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BUDDHA ACADEMY TIKAMGARH (MP) || ☺ || ༺•|✤CPCT_Admission_Open✤|•༻

created Jan 25th 2020, 06:51 by ashishgupta1232338


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बहुत समय पहले की बात है अमन और लोकेश बहुत अच्‍छे दोस्‍त थे। अमन बहुत ही मेहनत करता था और हमेशा हर काम सही टाइम पर करता था जबकि लोकेश उसके विपरीत था और हर काम बहुत ही लेट करता था। वह बस यही चाहता था कि सब कुछ बिना मेहनत के मिल जाये। लेकिन वह यह भूल गया था कि जीवन में कठिन मेहनत करना जरूरी है। अगर आप ने अपने जीवन में मेहनत नहीं कि तो आप जीवन का मतलब ही नहीं समझ पाओगे।
    एक दिन की बात है लोकेश बगीचा में अकेले ही बैठा था। तभी उसकी निगाह पेड़ पर एक तितली पर गयी। उसी पेड़ पर टहनी से लटकता हुआ एक तितली का कोकून दिखाई (तितली का अंड़ा) दिया। तितली बहुत ही संघर्ष कर रही थी लेकिन वह अपने अंडे से बाहर नहीं निकल पा रही थी। लोकेश यह सब बहुत ध्‍यान से देख रहा था उसको बहुत ही मजा रहा था। थोड़ी देर बात शाम हो गयी वह अपने घर चला गया। अगले दिन जब वह फिर आया तो देखा तितली अभी भी अपने अंडे से बाहर निकलने के लिए संघर्ष कर रही थी। कुछ देर वह देखता रहा, जब उसे रहा नहीं गया तो वह घर जाकर एक कैंची लाकर उसकी लेयर को काट दिय और वह तितली बाहर गयी वह बहुत खुश था कि उसने तो बहुत अच्‍छा काम किया है, लेकिन जब बहुत टाइम हो गया तो वह सोचने लगा की यह तितली उड़ क्‍यों नहीं पा रही है। उसने अमन को भी बुलाया और उसको सारी बात बताई अमन उसकी बात सुनकर बोला तुम ने यह बहुत ही गलत किया तुमको ऐसा नहीं करना चाहिए था इस पर लोकेश को गुस्‍सा गया और बोला मैंने क्‍या गलत किया है।
    फिर अमन ने उसको बताया कि यह एक प्राकृतिक तरीका है तितली का अंडे से बाहर आने का जब तितली अपने अंडे के झिल्‍ली से बाहर आने का संघर्ष करती है तब उसका पंख मजबूत होता है और वह आसानी से उड़ सकती है। लेकिन अगर वह संघर्ष नहीं करती है तो उसके पंख उड़ने लायक नहीं होते है, जैसा कि इस तितली का है। यह सुनकर लोकेश को बहुत दु:ख हो रहा था कि उसने ऐसा क्‍यों किया। लेकिन एक बात और थी जो कि लोकेश अब यह जान चुका था कि जीवन में संघर्ष करना बहुत ही जरूरी है। नहीं तो आदमी कमजोर हो जाता है और जीवन में आगे नहीं बड़ पाता है।
    इस कहानी से हम लोगों को भी यही सीख मिलती है कि अपने जीवन में अगर आपने संघर्ष नहीं किया तो कुछ नहीं किया। क्‍योंकि आप जितना संघर्ष करोगे उतना ही आप अपने अंदर से मजबूत बनोगे।  
     

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