Text Practice Mode
बंसोड टायपिंग इंस्टीट्यूट गुलाबरा, छिन्दवाड़ा मो.न.8982805777 सीपीसीटी न्यू बैच प्रांरभ
created Jan 27th 2020, 05:24 by Sawan Ivnati
0
358 words
7 completed
0
Rating visible after 3 or more votes
00:00
एक बार तेनालीराम का कुत्ता बीमार पड़ गया और बीमारी के कारण एक दिन चल बसा। कुत्ते के मर जाने के बाद तेनालीराम स्वयं बीमार पड़ गया। उसे बहुत तेज बुखार ने घेर लिया। एक पंडित जी उसके घर पर आकर बोले तुम्हें अपने पाप का प्राश्चित करना चाहिए। हो सकता है तुम्हारे पापों की वजह से तुम्हें इस रोग से छुटकारा ना मिले। तेनालीराम ने पूछा मुझे क्या करना होगा? पंडित जी ने उत्तर दिया तुम्हारे लिए पूजा पाठ करना पड़ेगा तथा इसमें तुम्हें 100 स्वर्ण मुद्राएं खर्च करनी पड़ेगी। तेनालीराम बोला लेकिन पंडित जी इतनी सारी स्वर्ण मुद्राएं मैं कहां से लाऊंगा? पंडित जी बोले तुम्हारे पास जो घोड़ा है उसे बेच देना तथा उससे जो रकम तुम्हें मिलेगी वह मुझे दान में दे देना। तेनालीराम ने पंडित जी की बात स्वीकार कर ली। पंडित जी ने पूजा पाठ करके तेनालीराम को शीघ्र स्वस्थ्रा होने की कामना की। कुछ ही दिनों में तेनालीराम वैध जी की दवाइयों से ठीक हो गया। तेनालीराम पंडित जी को साथ लेकर बाजार में गया। उसने एक हाथ से घोड़े की लगाम पकड़ रखी थी और दूसरे हाथ से एक टोकरी। बाजार में पहुंचकर तेनालीराम ने जोर से आवाज लगाई यह घोड़ा बिकाऊ है। घोड़े का मूल्य एक आना है तथा इसके साथ एक टोकरी भी है, जिसका मूल्य 100 स्वर्ण मुद्राएं हैं। जो सज्जन लेना चाहे उसे घोड़ा एवं टोकरी दोनों ही लेनी पड़ेगी। एक व्यक्ति ने दोनों चीजें खरीद ली तथा तेनालीराम को एक आना एवं 100 स्वर्ण मुद्राएं देकर घोड़ा एवं टोकरी को खरीद लिया। तेनालीराम ने पंडित जी को एक आना दे दिया तथा 100 स्वर्ण मुद्राएं स्वयं रख ली।
पंडित जी ने कहा तेनालीराम! तुम मेरे साथ अन्याय कर रहे हो। तुम मुझे 100 स्वर्ण मुद्राएं देने की बजाय 1 आना दे रहे है। तेनालीराम बोला पंडित जी! आपने ही कहा था कि जो तुम्हारे पास घोड़ा है, उसे बेच कर जो रकम मिलेगी वह मुझे दान में दे देना। घोड़े की कीमत एक आना थी और टोकरी की कीमत 100 स्वर्ण मुद्राएं। तेनालीराम की यह बात सुनकर पंडित जी को अपनी बात पर बड़ा ही अफसोस हुआ और वह एक आना लेकर चल दिए।
पंडित जी ने कहा तेनालीराम! तुम मेरे साथ अन्याय कर रहे हो। तुम मुझे 100 स्वर्ण मुद्राएं देने की बजाय 1 आना दे रहे है। तेनालीराम बोला पंडित जी! आपने ही कहा था कि जो तुम्हारे पास घोड़ा है, उसे बेच कर जो रकम मिलेगी वह मुझे दान में दे देना। घोड़े की कीमत एक आना थी और टोकरी की कीमत 100 स्वर्ण मुद्राएं। तेनालीराम की यह बात सुनकर पंडित जी को अपनी बात पर बड़ा ही अफसोस हुआ और वह एक आना लेकर चल दिए।
saving score / loading statistics ...