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BUDDHA ACADEMY TIKAMGARH (MP) || ☺ || ༺•|✤CPCT_Admission_Open✤|•༻

created Jan 28th 2020, 05:46 by ashishgupta1232338


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भ्रष्‍टाचार पर लगाम लगाने को लेकर सरकार भले कितने दावे कर ले, लेकिन हकीकत यह है कि भ्रष्‍टाचार कहीं कम नहीं हुआ है, बल्कि बढ़ता जा रहा है। दावोस में चल रहे विश्‍व आर्थिक मंच के सम्‍मेलन में ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल ने भ्रष्‍टाचार पर एक सौ अस्‍सी देशों की जो सूची जारी की है, उसमें इस बार भारत दो स्‍थान खिसक कर अस्‍सीवें स्‍थान पर चला गया है। पिछले साल यह अठहत्‍तरवें स्‍थान पर था। जाहिर है, भ्रष्‍टाचार कम होने के बजाय बढ़ा है। वैसे भ्रष्‍टाचार के मामले में भारत की दुनिया में जो छवि बनी है, वह कोई नई बात नहीं है। देश के भीतर हो या बाहर सरकारों और प्रशासन से लेकर सार्वजनिक जीवन में भ्रष्‍टाचार जिस कदर व्‍याप्‍त हो चुका है, उसमें खात्‍मा सिर्फ एक कल्‍पना भर से ही ज्‍यादा कुछ नहीं है। लेकिन ताज्‍जुब इस बात पर है कि एक चुस्‍त दुरुस्‍त नौकरशाही और कड़े निगरानी तंत्र का दावा करने वाली सरकारें आखिर भ्रष्‍टाचार पर लगाम क्‍यों नहीं लगा पाती। हालांकि अब ये कोई नया सवाल नहीं रह गया है। हकीकत तो यह है कि हम एक भ्रष्‍ट तंत्र में जीने के आदी हो गए हैं और भ्रष्‍टाचार को एक तरह से आत्‍मसात कर ही चुके हैं।

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