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साँई टायपिंग इंस्‍टीट्यूट गुलाबरा छिन्‍दवाड़ा म0प्र0 सीपीसीटी न्‍यू बैच प्रारंभ संचालक:- लकी श्रीवात्री मो0नां. 9098909565

created Jun 18th 2020, 10:01 by Jyotishrivatri


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नारद देव ऋषि कहे जाते थे। वह बराबर व्‍यवहार करते रहते थे और दूसरो की भलाई की बातें सोचते रहते थे। वे कोई बिगड़ता काम देख नहीं पाते थे।  एक बार देव ऋषि नारद के मन में प्रश्‍न उठा कि क्‍या मुझसे भी बड़ा कोई भगवान का भक्‍त है। वे तुरंत भगवान के पास गए। वहां जाकर उन्‍होंने पूछा- भगवान क्‍या मुझसे भी बढ़कर आपका कोई और भक्‍त है। भगवान ने नारद से कहा- इसका जवाब तुम्‍हें अभी मिल जाएगा। पहले एक काम करो कि यह तेल से भरा बर्तन लो और इस गांव का पूरा चक्‍कर लगाकर मेरे पास आओ। देखना इस बर्तन से एक बूंद भी तेल धरती पर ना गिरने पाए।  
नारद ने तेल से भरा बर्तन अपने हाथों मे उठा लिया और गांव का चक्‍कर लगाने निकल पड़ा। तेल की एक बूंद भी धरती पर ना गिर सके, इसलिए उन्‍हें बड़ा संभलकर चलना पड़ रहा था। उनका सारा ध्‍यान उस तेल से भरे बर्तन पर था।  
नारद सारे गांव का ध्‍यान पूर्वक चक्‍कर लगाकर भगवान के पास गये। लौटने पर भगवान ने नारद से पूछा- जितनी देर तक तुम तेल से भरा बर्तन लेकर गांव का चक्‍कर लगा रहे थे। इनती देर में तुमने मेरा नाम कितनी बार लिया। नारद ने कहा- मेरा सारा ध्‍यान तो इसमें था कि तेल जमीन पर एक बूंद ना गिर जाये। मैं तो दो घोड़ों पर सवार था, फिर आपका ध्‍यान कैसे आता।  
भगवान ने कहा- अब तुम की बोलो कि घर गृहस्‍ती और संसार के बोझ से लदा होकर भी यदि प्राणी घड़ी भर समय  निकालकर मेरा ध्‍यान कर लेता है, तो क्‍या कम है।  
शिक्षा- यह सही है कि प्रत्‍यके व्‍यक्ति को भगवान का ध्‍यान अवश्‍य रखना चाहिए किंतु अपना काम-धंधा छोड़कर भगवान का ध्‍यान करना यह बात तो भगवान को भी बुरी लगती है। वह तो अपने उन भक्‍तों से अधिक प्रसन्‍न रहते हैं, जो अपनी गृहस्‍ती संभालते रहने के पश्‍चात भी उनका ध्‍यान करते है।  

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