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साँई टायपिंग इंस्टीट्यूट गुलाबरा छिन्दवाड़ा (म0प्र0) संचालक:- लकी श्रीवात्री मो0नां. 9098909565
created Jul 22nd 2020, 14:33 by Sai computer typing
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ऊंचे स्वप्न देखें- संसार में ऐसे कई महान स्वप्नद्रष्टाओं का जन्म हुआ है जिन्हें समय से पहले ही उच्च संस्कृति के स्वरूप के दर्शन हो जाते थे। जहां वे अपने विचारों द्वारा पहुंचे थे, वहां अब सैंकड़ों वर्षो के बाद लोग पहुंच सके हैं। ये महान स्वप्नद्रष्टा संसार के भावी स्वरूप को अकेले ही अपनी विचारधाराओं में क्रमबद्ध करते थे, जबकि आज सारा संसार उन्हीं विचारों व सपनों को साकार रूप में जी रहा है। इमर्सन भी एक ऐसे ही स्वप्नद्रष्टा थे। वह विश्व की भावी उच्चतर संस्कृति के रूप के सपनों के आधार पर दर्शन कर चुके थे। ऐसी बातों की कल्पना भी उस समय का मानव नहीं करता था। ये ही वे पथ-प्रदर्शक थे जिन्होंने मानवीय सभ्यता के उस स्वरूप को देख लिया था, जो उनके जीवनकाल से पचास वर्ष से भी अधिक बाद में उद्भव हुई। वे स्वप्नद्रष्टा ही थे, जिन्होंने सानफ्रांसिस्को तथा अमेरिका के पश्चिमी तट पर सबसे बड़े बन्दरगाह को बनाया। इसके बाद भयंकर भूकम्प आने से जब यह बन्दरगाह तहस-नहस हो गया, तीन लाख बेघर हो गए, तब कुछ नए स्वप्नद्रष्टा आए। उन्होंने कल्पना की आंख से नए फ्रांसिस्को को देखा तथा सपनों के अनुसार नए नगर का निर्माण किया। यह नगर पहले से भी अधिक महान तथा विराट बना। यह है मनुष्य की अपराजेय निर्माण-भावना, जो कभी थकती नहीं। मनुष्य की इस निर्माण-भावना का पूर्व रूप सदा ही कल्पना से कल्पना में उत्पन्न होता हे। इसी तरह हेटिंग्टन और स्टेनफोर्ड के सपनों ने ही पूर्वी तथा पश्चिमी अमेरिका को फौलादी सूत्र में बांधकर एक किया तथा उन स्थानों पर विशाल नगरों का निर्माण किया जहां पहले केवल वन और झाड़-झंखाड़ उगे हुए थे। अमरीकी कांग्रेस के कुछ सदस्य कल्पनारहित थे। वे अमरीकी रेगिस्तान के पैसेफिक सागर तक रेल चलाने को एक मूर्खतापूर्ण कार्य कहते थे, किन्तु कुछ स्वप्नद्रष्टाओं की निरन्तर प्रेरणा ही थी कि अन्त में रेल लाइन की योजना बनाने वालों की विजय हुई। शिकागो को अन्तर्राष्ट्रीय नगर बनाने का सपना स्वप्नद्रष्टाओं ने ही देखा था। उन्होंने एक छोटे-सी रेड इंडियन गांव को इतने विशाल नगर का रूप दे दिया। ओमाहा, कंसास, डेनवर, साल्टलेक सिटी, लॉस ऍजिल्स इत्यादि शहरों के बनने से पूर्व ही ये नगर स्वप्नद्रष्टाओं की कल्पना में मौजूद थे। उन सपनों के कारण ही उनका वास्तविक स्वरूप लोगों के सामने आ सका। विश्व के इतिहास में आप यदि स्वप्नद्रष्टाओं के वृत्तांत को निकाल दें तो फिर उसे कौन पढ़ेगा? हमारे स्वप्नद्रष्टा ही मानव सभ्यता का अग्रगामी दल हैं। वे परिश्रमी लोग, कमर झुकाए , पसीने से लथपथ लोग हमारे लिए साफ-सुथरी सड़कें बना जाते हैं, जिन पर मानव जाति पीढ़ी-दर-पीढ़ी बेरोक-टोक आगे बढ़ती जाती है।
वर्तमान क्या है? यह तो पीढ़ी-दर-पीढ़ी आने वाले स्वप्नद्रष्टाओं के स्वप्नों का ही कार्यरूप में परिणित सहयोग है। हमारे विशाल से विशालतर समुद्री जहाज, अद्भुत सुरंगें, विराट पुल, विद्यालय, विश्वविद्यालय, अस्पताल, पुस्तकालय, अन्तर्राष्ट्रीय नगर, जीवनोपयोगी सुविधाएं, सुख के वैज्ञानिक साधन, कला के भण्डार, सब के सब किसी न किसी स्वप्नद्रष्टा के ही सपनों के परिणाम हैं।
वर्तमान क्या है? यह तो पीढ़ी-दर-पीढ़ी आने वाले स्वप्नद्रष्टाओं के स्वप्नों का ही कार्यरूप में परिणित सहयोग है। हमारे विशाल से विशालतर समुद्री जहाज, अद्भुत सुरंगें, विराट पुल, विद्यालय, विश्वविद्यालय, अस्पताल, पुस्तकालय, अन्तर्राष्ट्रीय नगर, जीवनोपयोगी सुविधाएं, सुख के वैज्ञानिक साधन, कला के भण्डार, सब के सब किसी न किसी स्वप्नद्रष्टा के ही सपनों के परिणाम हैं।
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