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साँई टायपिंग इंस्टीट्यूट गुलाबरा छिन्दवाड़ा म0प्र0 संचालक:- लकी श्रीवात्री मो0नां. 9098909565
created Nov 28th 2020, 06:13 by Jyotishrivatri
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पानी बचाओं अभियान से अभिजात्य वर्ग का सरोकार इतना ही था कि वे भी गांवों में जाकर श्रमदान के नाम पर कुदाली उठाए फोटो खिंचवाते रहे। अभियान का जोर शोर से प्रचार इसलिए किया गया ताकि आगे कि अभियान को उनके प्रयासों से गति मिली। इस बात से इंकार नहीं है कि मीडिया से गति मिली। मीडिया के एक वर्ग ने इस अभियान को जन-जन तक पहुंचाया। बात केवल पानी बचाओं अभियान की ही नहीं है, सरकार के किसी भी प्रयास से यह वर्ग अपने आप को अलग रखता है। हमारे राज्य में सूखे की स्थिति का सामना करने के प्रयासों में एक अभियान पानी बचाओं को भी मुख्यमंत्री के कहने से चलाया गया। यह अभियान प्रदेश के समग्र हित में चलाया गया। प्रदेश के निवासियों को मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए किया गया। प्रदेश में यथास्थिति को बदलने के लिये इसे चलाया गया। इस अभियान के अंतिम भाग में पानी के दुरूपयोग को रोकने के लिये जांच की गई। जांच में पाया गया कि अभिजात्य वर्ग की बसाहट में रहने वाले कई कुलीन व्यक्ति अवैध तरीके से नल कनेक्शन लेकर पानी का जी भर कर उपयोग कर रहे है।
इसे प्रदेश के नेतृत्य की कमी या विवशता ही माना जाएगा कि वह इस वग को हर अभियान से मुक्त रहने की छूट प्रदान करता है। यही कारण है कि यह वर्ग पानी का दुरूपयोग करना जारी रखे था। इस बात पर तो कोई विवाद ही नहीं हो सकता कि जब प्रदेश में पशु नहीं अपितु मनुष्य भी पीने का पानी के लिए तरस रहे हो तब यह अभियान वर्ग आवास के बगीचों को हरा रखने में पानी खर्च कर रहे है। इसलिए प्रदेश की जनता को तन-मन और धन से पानी बचाना चाहिए।
इसे प्रदेश के नेतृत्य की कमी या विवशता ही माना जाएगा कि वह इस वग को हर अभियान से मुक्त रहने की छूट प्रदान करता है। यही कारण है कि यह वर्ग पानी का दुरूपयोग करना जारी रखे था। इस बात पर तो कोई विवाद ही नहीं हो सकता कि जब प्रदेश में पशु नहीं अपितु मनुष्य भी पीने का पानी के लिए तरस रहे हो तब यह अभियान वर्ग आवास के बगीचों को हरा रखने में पानी खर्च कर रहे है। इसलिए प्रदेश की जनता को तन-मन और धन से पानी बचाना चाहिए।
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