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बंसोड टायपिंग इन्‍स्‍टीट्यूट गुलाबरा छिन्‍दवाड़ा म0प्र0

created Jan 18th 2021, 01:46 by sachinbansod1609336


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कोरोना और लॉकडाउन की वजह से जब दुनिया भर में लोग ज्‍यादा से ज्‍यादा समय घर में बिताने को तरजीह दे रहे हैं, तब विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन ने एक सच्‍चाई को हमारे सामने रखकर सिर्फ हमें सचेत किया है, बल्कि आगे का सही रास्‍ता भी दिखाया है। आज शारीरिक के साथ-साथ मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य पर भी खतरे मंडरा रहे हैं। ऐसे में, यह जरूरी है कि शारीरिक गतिविधियों पर विशेष रूप से ध्‍यान दिया जाए। विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन ने बताया है कि शारीरिक गतिविधियों को अगर अपेक्षा अनुरूप रखा जाए, तो दुनिया में हर साल होने वाली 40 से 50 लाख मौतों को टाला जा सकता है। मोटे तौर पर दुनिया में हर डेढ़ सौ इंसानों में से एक की जिंदगी शारीरिक गतिविधियों के अभाव की वजह से खतरे में पड़ती है। खुद विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन का अनुमान बताता है कि दुनिया में 27.5 प्रतिशत वयस्‍क और 81 प्रतिशत किशोर शारीरिक गतिविधियों के पैमानों पर खरे नहीं उतरते हैं, अर्थात इतने लोग अपने शरीर को उतना नहीं चलाते हैं, जितना कि चलाना चाहिए। विगत एक दशक में इस मोर्चे पर कोई अंतर नहीं आया है। लोग अपने स्‍वास्‍थ्‍य या शारीरिक गतिविधियों की जरूरत को लेकर सजग नहीं हो रहे हैं।  ताजा दिशा-निर्देशों के अनुसार, 5 से 17 वर्ष की आयु के बच्‍चों को प्रतिदिन कम से कम 60 मिनट की मध्‍यम से तीव्र शारीरिक गतिविधि करनी चाहिए। इसमें एरोबिक गतिविधियों के साथ-साथ मांसपेशियों और हड्डियों को मजबूत करने की गतिविधि भी जरूरी है। यदि इस उम्र के लोग जरूरत भर का व्‍यायाम या कार्य कर लें, तो उनका शरीर मजबूत हो सकता है। उनका हृदय, रक्‍तचाप, ग्‍लूकोज, अस्थियां, मन-दिमाग, शैक्षणिक प्रदर्शन सुधर सकता है। कोरोना के समय हमने देखा है, बच्‍चों की गतिविधियां मोबाइल या स्‍क्रीन तक सिमट रही हैं। अभी आंकड़े नहीं आए हैं, पर आने वाले महीनों में मोटापे विभिन्‍न रोगों के आंकड़े भी जारी होंगे और हमें पता चल सकेगा कि कोरोना या लॉकडाउन ने हमें कितना नुकसान पहुंचाया है। 18 से 64 वर्ष की आयु के वयस्‍कों को कम से कम तीन से पांच घंटे की मध्‍यम-तीव्रता वाली एरोबिक गतिविधि या हर हफ्ते कम से कम 75-150 मिनट की जोरदार तीव्रता वाली एरोबिक गतिविधि करनी चाहिए। मांसपेशियों केलिए व्‍यायाम भी सप्‍ताह में दो या अधिक दिन करने की सिफारिश की जाती है। दिशा-निर्देशों में साफ कहा गया है कि वयस्‍कों में गतिहीन व्‍यवहार से हृदय रोग, कैंसर और टाइप -2 मधुमेह की आशंका बढ़ सकती है। 65 से ज्‍यादा उम्र के लोगों को अपनी जरूरत और क्षमता के लिहाज से गतिविधियां करने की सिफारिश की गई है, तो इसे समझा जा सकता है। यह भी गौर करने की बात है कि लड़कियां और महिलाएं अपेक्षाकृत कम सक्रियता दिखा रही हैं। हर परिवार और संस्‍थान को शारीरिक गतिविधियां बढ़ाने के उपाय करने चाहिए।  
 
 

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