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सॉंई टायपिंग इंस्‍टीट्यूट गुलाबरा छिन्‍दवाड़ा म0प्र0 सीपीसीटी न्‍यू बैच प्रारंभ संचालक:- लकी श्रीवात्री मो0नं. 9098909565

created Jan 18th 2021, 10:20 by renukamasram


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सतत जागरूकता ही स्‍वतंत्रता का मूल्‍य है, यह उक्ति विश्‍व अधिकार दिवस 15 मार्च के संदर्भ में भी चरितार्थ हो सकती है। किंतु इसके लिए जरूरी है उपभोक्‍ताओं का जागरूक होना। अधिकारों की किताब अगर अलमारी में ही रखी रहे और उसको पढ़कर उपयोग में लाया जाए तो वह किताब अलमारी की शोभा तो हो सकती है, पाठक की शक्ति नहीं। ठीक उसी प्रकार विधायिका उपभोक्‍ताओं के अधिकारों को सूची‍बद्ध करके कानून तो बना दे जैसे कि विश्‍व के विभिन्‍न देशों में ऐसे कानून बने हुए भी हैं, पर यदि उपभोक्‍ताओं को इनकी जानकारी नहीं है तो विश्‍व उपभोक्‍ता अधिकार दिवस उस सिक्‍के की तरह हो जाएगा, जो ताला लगे हुए संदूक में बंद है और जिसकी चाबी खो गई है। तात्‍पर्य यह है कि उपभोक्‍ता को केवल अधिकारों का ज्ञान हो अपितु इन अधिकारों को कैसे और कब उपयोग किया जाए, इसका भी ध्‍यान अर्थात जागरूकता हो। भौतिकवादी सभ्‍यता की संतान है बाजार-वाद। यह दरअसल लोकलुभावन विज्ञापनों और चातुर्यपूर्ण चालों से विक्रेताओं द्वारा क्रेताओं को सम्‍मोहित करने की कला है। एक वाक्‍य में यह कि व्‍यापारी/ उद्यमी/ उद्योगपति के द्वारा उपभोक्‍ता की जेब के पैसों से अपने लिए मुनाफे का तड़ाका लगाना ही बाजारवाद है। यह बाजारवाद सबसे पहले अमरीका में पनपा और गाजरघास की तरह संपूर्ण विश्‍व में फैल गया। यह विकृति (बाजारावाद) जिस अमरीका में पनपी थी, उसी अमरीका ने इसके दूषित परिणामों को भी सबसे पहले पहचाना और उपभोक्‍ताओं के संरक्षण के लिए पहल की। सर्वप्रथम अमरीका में ही आर.नाडेर द्वारा  उपभोक्‍ता संरक्षण आंदोलन आरंभ किया गया, जिसने एक अनवरत अभियान का रूप ले लिया। नतीजा यह हुआ कि 15 मार्च 1962 को तत्‍कालीन राष्‍ट्रपति जॉन एफ. कैनेडी द्वारा उपभोक्‍ता संरक्षण पर अमरीकी कांग्रेस (संसद) में पेश किए गए विधेयक पर समर्थन और अनुमोदन प्राप्‍त हुआ। इसमें आरंभ में चार विशेष प्रावधान उपभोक्‍ता सुरक्षा का अधिकार सूचना प्राप्‍त करने का अधिकार सुनवाई का अधिकार थे, जिसमें बाद में चार और अधिकारों को जोड़क‍र इसे आठ सूत्रीय कर दिया गया। अमरीका में चूंकि सबसे पहले अर्थात 15 मार्च 1962 को उपभोक्‍ता संरक्षण विधेयक पारित किया गया था, इसलिए हर वर्ष विश्‍व के विभिन्न देश 15 मार्च को विश्‍व उपभोक्‍ता अधिकार दिवस मनाते हैं। भारत में भी उपभोक्‍ताओं संरक्षण आंदोलन का आंरभ 1966 में बंबई अब मुंबई से हुआ। उल्‍लेखनीय है कि भारत में राष्‍ट्रीय उपभोक्‍ता अधिकार दिवस 24 दिसंबर को मनाया जाता है, जबकि विश्‍व उपभोक्‍ता अधिकार दिवस अन्‍य देशों की तरह 15 मार्च को। भारत में उपभोक्‍ताओं के अधिकारों में प्रमुख हैं- उपभोक्‍ताओं हितों पर विचार करने के लिए विभिन्न मंचों पर प्रतिनिधित्‍व का अधिकार अनुचित व्‍यापार पद्धतियों या उपभोक्‍ताओं के शोषण के विरुद्ध निपटान का अधिकार सूचना संपन्न उपभोक्‍ता बनने के लिए ज्ञान कौशल प्राप्‍त करने का अधिकार अपने अधिकार के लिए आवाज उठाने का अधिकार वस्‍तु की मात्रा, क्षमता, शुद्धता, स्‍तर और मूल्‍य के बारे में जानकारी का अधिकार। उपभोक्‍ता इन अधिकारों का प्रयोग जागरूकता के साथ कर सकता है। उसे जरूरत है तो बस रसीद की। उसके बाद वह कानूनी लड़ाई लड़ सकता है। इसी तरह स्‍वर्णाभूषण विक्रेताओं के लिए हॉलमार्क बनाना जरूरी है तो अन्‍य वस्‍तुओं पर एमआरपी अन्‍य जानकारियां मुद्रित करना भी।  

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