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साँई कम्प्यूटर टायपिंग इंस्टीट्यूट गुलाबरा छिन्दवाड़ा म0प्र0 संचालक:- लकी श्रीवात्री मो0नां. 9098909565
created Apr 24th 2021, 10:08 by lovelesh shrivatri
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युद्ध समाप्त होने के बाद राजा की सेना वापस जा रही थी। वे सभी भूखे थे क्योंकि उनकी खाद्य आपूर्ति समाप्त हो गई थी। राजा ने अपने सिपाहियों से अन्न की व्यवस्था करने को कहा। सिपाही पास के के एक गांव की ओर चल दिए। रास्ते में उन्हें एक किसान मिला। सिपाही उससे बोले, हमें गांव के सबसे बड़े खेत में ले चलो। तभी उनकी नजर वहीं स्थित एक बड़े से खेत पर पड़ी। सिपाही उस खेत से अनाज एकत्र करने लगे तो किसान ने उन्हें ऐसा करने से मना करते हुए कहा, मेरे साथ आओ, मैं तुम्हे एक दूसरे बड़े खेत में लेकर चलता हूं। सिपाही किसान के साथ चल पडे। फिर उन्होंने उस खेत से अनाज एकत्र किया और किसान से पूछा तुमने हमें उस पहले वाले खेत से अनाज एकत्र करने से मना क्यों कर दिया। किसान ने जवाब दिया, क्योंकि वह खेत किसी और का था जबकि यह खेत मेरा है। मैं कैसे तुम्हे किसी दूसरे के खेत को नष्ट करने देता। राजा ने जब किसान की दयालुता के बारे में सुना तो उन्होंने उसे बुलाकर फसल के मूल्य स्वरूप स्वर्णमुद्राएं भेट की।
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