eng
competition

Text Practice Mode

upsssc hindi mangal inscript typing

created Jun 20th 2021, 12:39 by anmol169tiwari


1


Rating

852 words
5 completed
00:00
यह अच्छा हुआ कि जी-7 देशों के मंच से इस पर जोर दिया गया कि विश्व स्वास्थ्य संगठन अर्थात डब्ल्यूएचओ कोरोना उत्पत्ति का पता लगाए। इस दबाव का नतीजा यह रहा कि डब्ल्यूएचओ प्रमुख को भी यह कहना पड़ा कि चीन कोरोना वायरस के स्त्रोत की तह तक पहुंचने में सहयोग करे। डब्ल्यूएचओ तभी से कठघरे में हैं, जबसे वह कोविड-19 महामारी को रोकने में नाकाम रहा। उसने कोविड-19 को महामारी घोषित करने में काफी समय लिया और समय रहते यात्राओं पर प्रतिबंध लगाने के प्रति भी गंभीरता नहीं दिखाई। वुहान या चीनी वायरस नामकरण देने में झिझक उसकी भूमिका को और संदेहास्पद बना देती है। डब्ल्यूएचओ के चीन के प्रति पक्षपातपूर्ण व्यवहार के कारण ही पूरे विश्व में लाखों लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी है। इससे पहले 2015 के पश्चिमी अफ्रीका के इबोला संकट के समय में भी सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल घोषित करने में देरी के कारण उसे आलोचना का शिकार होना पड़ा था।
    डब्ल्यूएचओ के सदस्य देश उसे अनिवार्य एवं ऐच्छिक, दो प्रकार से फंड देते हैं। अनिवार्य योगदान के अंतर्गत प्रत्येक सदस्य देश 1980 की जनसंख्या एवं जीडीपी के अनुपात में योगदान देता है। डब्ल्यूएचओ के कुल बजट का लगभग 20 प्रतिशत अनिवार्य योगदान के रूप में प्राप्त होता है। जबकि ऐच्छिक योगदान के अंतर्गत प्रत्येक सदस्य देश अपनी इच्छा से कितना भी दे सकता है। कुल बजट में इसका योगदान का लगभग 35 प्रतिशत है, जिसमें सर्वाधिक 31 प्रतिशत योगदान अमेरिका का है। इसके बाद इंग्लैंड 16 प्रतिशत, जर्मनी 12 प्रतिशत एवं जापान का छह प्रतिशत का योगदान है। चीन का योगदान दो प्रतिशत है और भारत का एक प्रतिशत। यदि सदस्य देशों की ऐच्छिक एवं अनिवार्य राशि को मिला दिया जाए तो यह डब्ल्यूएचओ के कुल बजट की राशि गैर सरकारी संस्थाओं से दान में प्राप्त होती है, जिसमें बिल एंड मिलिंडा गेट्स फाउंडेसन का सर्वाधिक आठ प्रतिशत का योगदान है। इस प्रकार डब्ल्यूएचओ को मिलने वाली कुल बजट राशि का लगभग दो तिहाई दान से प्राप्त होता है, जो इसकी नीतियों के निर्धारण में प्रत्यक्ष भूमिका का निर्वाह करते हैं। इनका संबंध दवाओं, टीकों एवं अन्य स्वास्थ्य उत्पादों के बाजार से जुड़ा है। इससे डब्ल्यूएचओ की वैधानिकता में निरंतर गिरावट रही है।
    यदि विश्व स्वास्थ्य संगठन को लोकतांत्रिक वैश्विक स्वास्थ्य एजेंसी के रूप में अपनी वैधता को बनाए रखना है तो इसे अपने मूल कामों की तरफ लौटना होगा। इसे महामारी और स्वास्थ्य कवरेज जैसे मुख्य मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करने की जरूरत है। डब्ल्यूएचओ को अपनी कार्यप्रणाली में बदलाव करना होगा। इसका मुख्य निर्णय लेने वाला निकाय वार्षिक विश्व स्वास्थ्य सभा होता है, जिसमें सभी सदस्य देश हिस्सा लेते हैं। सदस्य देशों की प्राथमिकताएं अक्सर प्रमुख दानदाताओं के साथ टकराती रहती हैं। सदस्य देशों को स्वैच्छिक बजट को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करने के लिए डब्ल्यूएचओ के मुख्य बजट में अपने निर्धारित योगदान को बढ़ाना चाहिए। सदस्य देशों द्वारा गारंटीकृत फंडिग करने से सिर्फ इसका कार्य विस्तार होगा, बल्कि सदस्य देशों के साथ तालमेल एवं जवाबदेही में भी वृद्धि होगी। डब्ल्यूएचओ को वित्त पोषण ढाचे में सुधार के अलावा अपने अतिरक्त आय के स्त्रोंतो में भी वृद्धि करनी होगी। इके कार्यकारी बोर्ड, को स्थायी निकाय बनाया जाना चाहिए। इससे इसकी कार्यप्रणाली की व्यावहारिकता में वृद्धि होगी।
    डब्ल्यूएचओ को किसी भी गंभीर बीमारी के लिए धन जुटाने के लिए नवीन वित्त पोषण पर विशेष ध्यान देना होगा। दान देने वाली गैर सरकारी संस्थाओं की भूमिका को स्वीकार करते हुए उन्हें इस संस्था में उचित स्थान तो दिया जाना चाहिए, परंतु विश्व में स्वास्थ्य सुविधाओं की आपूर्ति में उनके आर्थिक हितों से बचना चाहिए। दवाओं, टीकों एवं अन्य स्वास्थ्य उत्पादों के अनुसंधान एवं विपणन के संबंध में डब्ल्यूएचओ का डब्ल्यूटीओ एवं विश्व की अन्य अतरराष्ट्रीय संस्थाओं के साथ एक अच्छा तालमेल होना चाहिए। संकट के समय डब्ल्यूएचओ को अनुसंधान के कार्यों एवं नई दवाओं को लाने में विकसित देशों के साथ शामिल होना चाहिए। साथ ही ऐसी विधियों पर कार्य करना चाहिए, जिससे प्रमुख दवाएं सस्ती कीमत पर सभी को उपलब्ध हो सकें। इसके अतिरिक्त इसे अपने विशेषज्ञों को संभावित सार्वजनिक स्वास्थ्य आपात स्थितियों को छिपाने से रोकने के लिए, प्रकोपों की जांच और आकलन करने के लिए स्वतंत्र अधिकार देना चाहिए।
    डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट को विश्व भर में लागू करवाने के लिए कानूनी अधिकार होने के कारण सदस्य देश इसे गंभीरता से नहीं लेते। विश्व व्यापार संगठन की तरह डब्ल्यूएचओ के अधिकारों में बढ़ोतरी के लिए सभी देशों को मिलकर कार्य करना होगा। डब्ल्यूएचओ को अपनी गतिविधियों को केवल गंभीर बीमारियों के क्षेत्र में ही विस्तार करना चाहिए। बाकी बीमारियों के लिए इसका व्यवहार अन्य देसों के लिए निर्देशात्मक होना चाहिए। विश्व के देशों को स्वास्थ्य के संबंध में तकनीकी सहायता पर भी इसे फोकस करना होगा। इन सबके साथ डब्ल्यूएचओ को अपनी राजनीतिक निष्पक्षता बनाए रखनी होगी। से अन्य अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं के साथ एक समन्वयकारी संस्था के रूप में कार्य करना चाहिए, जिससे वह तेजी से बदलती वैश्विक स्वास्थ्य नीति में महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह कर सके। अब समय गया है कि डब्ल्यूएचओ को एक नया रूप दिया जाए, ताकि वैश्विक स्वास्थ्य को मजबूत करने के साथ-साथ भविष्य के स्वास्थ्य संकटों के साथ महामारियों को भी रोका जा सके। इसके लिए सदस्य देशों केबीच व्यापक समन्वय की आवश्यकता होगी।
 

saving score / loading statistics ...