Text Practice Mode
5
Rating visible after 3 or more votes
saving score / loading statistics ...
00:00
एक नगर में एक राजा रहता था। वह अपनी पुत्री को बहुत प्यार करता था। उसकी एक बहुत सुशील एवं सुन्दर कन्या थी। उसका नाम केतकी था। वह अनेक गुणों से परिपूर्ण थी । किन्तु उसके भाग्य में बहुत कष्ट लिखे थे। ऐसा पण्डितों का कहना था। इस दुःख के कारण उसकी माँ रानी बीमार रहने लगी। राजा के अनेक उपायों के करने के उपरान्त भी राजा के कोई पुत्र न हुआ और कोई अन्य सन्तान भी न था। अतः राजा रानी अपनी इस पुत्री से असीम प्यार करते थे। वह इनकी आँख का तारा थी। किन्तु पंडितों के बताये ग्रह नक्षत्रों के कारण वे दोनों प्रायः व्याकुल रहते किन्तु पुत्री से कुछ न कहते। रानी तो सोच में डूबी-डूबी पुत्री के बारह वर्ष के होते होते संसार छोड़कर चल दी। अब पिता को हर क्षण पुत्री का ही ध्यान रहता। पिता ने यह सोचकर कि पुत्री को यदि पढ़ा लिखा योग्य बना दिया जाये तो जीवन में अत्यधिक सुखी रह सकती है, उसे उसकी सहेलियों के साथ पढने पाठशाला भेजना प्रारम्भ कर दिया।
