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PANKAJ SHARMA HINDI TYPING INSTA ID- PANKAJSHARMA8517
created Sep 8th 2021, 16:15 by Pankaj Sharma vscti
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मानवता का यह दुर्भाग्य रहा है कि विश्व शांति एवं मानव जाति के कल्याण के लिये जब भी कोई मसीहा अनतरित हुआ है तब ही किसी न किसी आतताई ने जनम लेकर इन मसीहाओं के कार्यों, नाम और जीवन को मिटाने के प्रयास किये है जैसे सूर्य का जन्म हुआ तो ईश्वर ने केतु का भी निर्माण कर दिया, पर जिस प्रकार ग्रहण लगने के बाद सूर्य का प्रकाश उज्जवल होकर प्रकाशित होता है वैसे ही इन मसीहाओं की, इन देवताओं की वाणी, इनके उपदेश इनकी शिक्षाऐं इनके शुभ कार्य और अधिक प्रकाशित होते गये। ईसा को सूली पर लटका दिया गया। गांधीजी को गोली मार दी गई, लेकिन और कैनेड़ी के लिए मौत के द्वार खोल दिये गये मगर इनकी शिक्षाएं, इनके कार्य, इनके विचार आज भी इतने है-जितना सूर्य का प्रखर प्रकाश। आज से सौ साल पहले पोरबन्दर में एक गांधी रूपी ही सूर्य उतरा था, एक ऐसा ही देवदूत इस धरा धाम पर अवतरित हुआ था। इस सूर्य का प्रकाश न केवल भारत में फैला बल्कि संपूर्ण विश्व में फैला और मानवता इस प्रकाश को पाकर धन्य हो उठी। पूर्व के इस प्रभात का प्रकाश पश्चिम में भी फैला। आज से 40 वर्ष पहले जोर्जिया में एक ऐसी ही ज्योति ने जन्म लिया जिसने गाँधी द्वारा जलाई गई सत्य, प्रेम और अहिंसा की मशाल थाम ली और यह मशाल आज भी पश्चिम में अपनी रोशनी दे रही है। इस मशाल को थामने वाले इस पुण्य पुरूष का नाम था पादरी मार्टिग लूथर किंग। डॉ. किंग ने भोतिकता की भूल भुलैया में भटकने वाले अमेरिका में अहिंसा और मानव प्रेम की जो ज्योति जलाई उसका मूल्यांकन चाहे आज का उग्र श्वेत वर्ग नहीं करें पर कल जब इतिहास लिखा जावेगा तो डॉ. किंग की सेवाओं को सुनहरे अक्षरों में निश्चित ही लिखा जायेगा। इसके एक नहीं अनेक कारण है और यदि इन कारणों पर प्रकाश डाला जायें तो एक अच्छी खासी पुस्तक तैयार हो जाये। सहकारिता से अनेकों लाभ है। इससे मनुष्य में आपस में मिल-जुलकर कार्य करने की भावना का उदय होता है।
