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ANU COMPUTER TYPING INSTITUTE MANSAROVAR COMPLEX M.36 CHHINDWARA
created Sep 13th 2021, 12:26 by Om Kakodiya
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				किसी शहर में सूरज नाम का एक व्यक्ति रहा करता था। इसके पास बहुत ज्यादा धन हुआ करता था। वह अपने पैसो को अपने दोस्तों पर खर्च करना पसंद किया करता था। 
सूरज को यह पैसे उसके परिवार से मिला हुआ था। सूरज ने खुद ही यह पैसे नहीं कमाए हुए थे। इसलिए वह अपने दोस्तों पर हद से ज्यादा पैसा खर्च किया करता है।
सूरज के सारे दोस्त मतलबी थे। वह सभी सूरज से पैसो के लिए दोस्ती किये हुए थे। सूरज के दोस्तों में ही एक दोस्त था जिसका नाम दीपक था।दीपक को सूरज के सभी दोस्त पसंद नहीं किया करते थे। क्योंकि दीपक काफी ईमानदार था। वह सूरज के पैसो को बर्बाद नहीं करता था। दीपक सूरज को भी समय-समय पर बताया करता था कि वह अपने पैसे को इस तरह से बर्बाद न करें।
पर सूरज कहा किसी का सुनने वाला था। सूरज के दोस्त सूरज का कान को भर कर, सूरज और दीपक का दोस्ती ख़त्म करा दिया।
समय बीतता जाता है। अब वह भी समय आ जाता है, जब सूरज का सारा पैसा ख़त्म हो जाता है। धीरे-धीरे सूरज का सारा जमीन भी बिक जाता है।
अब वह कही का नहीं रहता है। उसके खुद के दोस्तों के सामने हाथ फ़ैलाने का समय आ जाता है। सूरज अपने सारे दोस्तों के पास जाता है मदद के लिए। सूरज के कुछ दोस्त साफ मदद करने के लिए मना कर देते है।
तो वही कुछ सूरज के दोस्त कोई मदद भी नहीं करते पर अपशब्द भी कह देते है। साथ ही सूरज के कुछ ऐसे दोस्त भी थे जो कि सूरज को पहचानने से भी मना कर देते है। अब सूरज को दीपक की कही बात याद आ जाती है। फिर वह वापस लोटता है।
सभी दोस्तों से मिलने के बाद सूरज वापस लौट रहा था तो उसे रास्ते में दीपक मिला। दीपक से सूरज ने रोते हुए माफ़ी मांगा। दीपक से सूरज को गले लगा लिए।अब दीपक ने सूरज को अपने घर में रखा। उसे हर तरह से मदद किया। सूरज को अपने किये पर बहुत ज्यादा शर्म आता था। वह सोचता था कि वह कैसे अपने सबसे अच्छे और सच्चे दोस्त को छोड़ दिया।वह कहते है कि सच्चे दोस्त की पहचान बुरे समय में ही होता है। जैसे इस दोस्ती की कहानी में सूरज का सच्चा दोस्त दीपक सूरज को बुरे समय में मदद करता है।
दीपक की मदद और सूरज की कड़ी मेहनत से सूरज फिर से अमीर बन जाता है। अब सूरज को सच्चे दोस्त की पहचान समझ में आ गई थी। साथ ही उसे पैसो का कीमत भी समझ में आ गया था। यह कहानी यही ख़त्म होती है।
			
			
	        सूरज को यह पैसे उसके परिवार से मिला हुआ था। सूरज ने खुद ही यह पैसे नहीं कमाए हुए थे। इसलिए वह अपने दोस्तों पर हद से ज्यादा पैसा खर्च किया करता है।
सूरज के सारे दोस्त मतलबी थे। वह सभी सूरज से पैसो के लिए दोस्ती किये हुए थे। सूरज के दोस्तों में ही एक दोस्त था जिसका नाम दीपक था।दीपक को सूरज के सभी दोस्त पसंद नहीं किया करते थे। क्योंकि दीपक काफी ईमानदार था। वह सूरज के पैसो को बर्बाद नहीं करता था। दीपक सूरज को भी समय-समय पर बताया करता था कि वह अपने पैसे को इस तरह से बर्बाद न करें।
पर सूरज कहा किसी का सुनने वाला था। सूरज के दोस्त सूरज का कान को भर कर, सूरज और दीपक का दोस्ती ख़त्म करा दिया।
समय बीतता जाता है। अब वह भी समय आ जाता है, जब सूरज का सारा पैसा ख़त्म हो जाता है। धीरे-धीरे सूरज का सारा जमीन भी बिक जाता है।
अब वह कही का नहीं रहता है। उसके खुद के दोस्तों के सामने हाथ फ़ैलाने का समय आ जाता है। सूरज अपने सारे दोस्तों के पास जाता है मदद के लिए। सूरज के कुछ दोस्त साफ मदद करने के लिए मना कर देते है।
तो वही कुछ सूरज के दोस्त कोई मदद भी नहीं करते पर अपशब्द भी कह देते है। साथ ही सूरज के कुछ ऐसे दोस्त भी थे जो कि सूरज को पहचानने से भी मना कर देते है। अब सूरज को दीपक की कही बात याद आ जाती है। फिर वह वापस लोटता है।
सभी दोस्तों से मिलने के बाद सूरज वापस लौट रहा था तो उसे रास्ते में दीपक मिला। दीपक से सूरज ने रोते हुए माफ़ी मांगा। दीपक से सूरज को गले लगा लिए।अब दीपक ने सूरज को अपने घर में रखा। उसे हर तरह से मदद किया। सूरज को अपने किये पर बहुत ज्यादा शर्म आता था। वह सोचता था कि वह कैसे अपने सबसे अच्छे और सच्चे दोस्त को छोड़ दिया।वह कहते है कि सच्चे दोस्त की पहचान बुरे समय में ही होता है। जैसे इस दोस्ती की कहानी में सूरज का सच्चा दोस्त दीपक सूरज को बुरे समय में मदद करता है।
दीपक की मदद और सूरज की कड़ी मेहनत से सूरज फिर से अमीर बन जाता है। अब सूरज को सच्चे दोस्त की पहचान समझ में आ गई थी। साथ ही उसे पैसो का कीमत भी समझ में आ गया था। यह कहानी यही ख़त्म होती है।
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