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सॉंई कम्प्यूटर टायपिंग इंस्टीट्यूट गुलाबरा छिन्दवाड़ा म0प्र0 सीपीसीटी न्यू बैच प्रारंभ संचालक:- लकी श्रीवात्री मो0नं. 9098909565
created Oct 2nd 2021, 03:53 by lucky shrivatri
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				महात्मा गांधी के चिंतन की शैली विशिष्ट थी। उनके चिंतन में भारत और भारतीयता का समावेश था। साथ ही नागरिकों में समानता और समता का भाव भी उनके विचारों से प्रकट होता रहा हैं। स्वराज को लेकर गांधीजी ने विस्तार से अपने विचार विश्व के समक्ष रखे। उनके विचार वर्तमान दौर मे भी प्रांसगिक हैं। महात्मा गांधी के विचारों से प्रेरित होकर सरकारें कई महत्वपूर्ण योजनाओं पर काम कर रही है, उनके पीछे महात्मा गांधी का दर्शन भी स्पष्ट रूप से नजर आता है। महात्मा गांधी के स्वराज की अवधारणा का वास्तव में बहुत व्यायपक अपधारणा है। उनके लिए स्वराज का तात्पर्य केवल अंग्रेजी हुकूमत से स्वतंत्रता प्राप्त करना ही नहीं था, अपितु सांस्कृतिक एवं नैतिक मजबूती भी उनके विचारों में समाहित थी। सब जानते है कि भारत पर लंबे समय तक विदेशियों ने आक्रमण किए है। अंग्रेजों के आने से पहले भी देश में अनेक आक्रमण किए है। निरंतर हो रहे इन बाह्य आक्रमणों से देश जूझता रहा, किंतु सांस्कृतिक रूप से देश मजबूत था। भारत की सांस्कृतिक मजबूती के पीछे यहां की मिट्टी से जुड़े संस्कार थे। महात्मा गांधी भी उन संस्कारों से भली भांति परिचित थे। देश का दुर्भाग्य रहा कि आजादी के पश्चात सरकारों ने सांस्कृतिक स्वाधीनता की ओर कम ध्यान दिया। मानसिक एवं वैचारिक गुलामी ने देश के नागरिकों को जकड़े रखा। हमारे महापुरूषों एवं मान बिंदुओं के प्रति सम्मान का भाव नई पीढी में किस प्रकार बढ़े, इस विषय की सरकारें लगातार अनदेखी करती रहीं। वर्तमान केंद्र सरकार इस विषय पर गंभीर है। महात्मा गांधी के चिंतन को व्यावहारिक रूप देने के लिए भी यह सरकार प्रतिबद्ध नजर आती है। अस्पृश्यता को खत्म करने को लेकर महात्मा गांधी का आग्रह पूरे विश्व ने देखा है। इसी प्रकार दरिद्र नारायण की सेवा, पीडित मानवता की सेवा के प्रति भी महात्मा गांधी का झुकाव रहा। महात्मा गांधी के राजनीतिक विचार में भी यह बात स्पष्ट रूप से रेखांकित होती है कि दरिद्र नारायण की सार-संभाल आवश्यक है। सरकारी योजनाओं का अधिकतम लाभ अंतिम पंक्ति में बैठे व्यक्ति को मिले। दरिद्र नारायण को ही लक्ष्मी नारायण मानकर उसकी सेवा की जाए, यह वर्तमान समय की भी आवश्यकता है। इसकी आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए केंद्र सरकार निरंतर ऐसी योजनाओं पर कार्य कर रही है, जो देश के लाखों करोड़ों लोगों की आंखों के आंसू पोंछने का काम कर रही हैं। उज्जवला योजना इसका प्रतिनिधित्व कर सकती है। धर्म और राजनीति पर भी महात्मा गांधी ने समय-समय पर अपने विचार व्यक्त किए हैं। जो लोग धर्म को राजनीति से अलग रखने की बात करते हैं, उनके संदर्भ में वे कहते थे कि ऐसे लागों को धर्म का असली अर्थ ही पता नहीं है। उन्होंने राजनीति में जीवन मूल्यों और सिद्धांतों की वकालत की है। वे कहते थे कि सिद्धांतहीन राजनीति फांसी के फंदे के समान है। स्पष्ट है कि गांधीजी राजनीति के माध्यम से भी जीवन मूल्यों के संरक्षण और संवर्धन का विचार रखते थे। 
			
			
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