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साक्षी कम्प्यूटर गली नं.01 मेन रोड गुलाबरा छिंदवाड़ा (म.प्र.)
created Nov 9th 2021, 01:58 by SakshiThakur
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राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद केे हाथों पद्म सम्मान पाने वाले 119 नागरिकों में कर्नाटक के हरेकाला हजब्बा सबसे अलग नजर आ रहे है। हजब्बा मेंगलुर बस अड्डे पर संतरे बेचते है। खुद अंग्रेजी-हिंदी नहीं जानते । मगर अपने गांव हरेकाला-नेउपादपू में उन्होंने गरीब बच्चों के लिए स्कूल बनवाया। 10वीं तक के इस स्कूल में अभी 175 बच्चे अध्ययनरत है। हजब्बा ने सम्मान समारोह ग्रहण करने के बाद मीडिया से बातचीत में कहा कि वे 1977 से मेंगलुरू बस अड्डे पर संतरे बेच रहे हैं। 1978 में कहा एक विदेशी ने उनसे अंग्रेजी में संतरे का दाम पूछ लिया। वे जवाब नहींं दे पााए तभी ठाान लिया कि अपने गांव में गरीब की शिक्षा के लिए जरूर कुछ करेंगे। पैसे बचाकर पहले गांव की मस्जिद में बच्चों के लिए स्कूल खुलवाया। फिर अपनी बचत और लोगों के दान से गांव में जमीन खरीदी। वर्ष 2000 में लोगों और सरकार की मदद से इस जमीन पर स्कूल बन पाया।
वे दान देने वाले हर व्यक्ति की जानकारी फ्रेम करवाकर रखवाते है। आज भी उस पत्रकार का शुक्रिया अदा करते हैं जिसने पहली बार उनकी कहानी छापी थी। कहते है इसके बाद से लोगों के जुड़ने का सिलसिला शुरू हो गया था। 2020 में पद्म सम्मान की घोषणा के बाद भी उन्होंने इसी पत्रकार से इसकी पुष्टि की थी । हजब्बा की पत्नी मैमूना अल्जाइमर्स की मरीज है। उनकी दो बेटियांं और एक बेटा है जो रंग-रोगन का काम करते है। हजब्बा आज भी घर चलाने के लिए संतरा बेचते है। अब तक कई अवार्ड्स से सम्मानित हजब्बा पुरूस्कार राशि स्कूल के लिए दान कर देते हैं। उन्हें उम्मीद है कि पद्म अवार्ड से मिली राशि सेे गांव का स्कूल 12वीं तक का हो जाएगा।
हजब्बा को सादगी की वजह से कर्नाटक में 'अक्षर संत' कहा जाता है। सोमवार को पद्म सम्मान लेने वे राष्ट्रपति भवन नंगे पाव पहुंचे। उन्हें हिन्दी नहीं आती थी। बड़ी मुश्किल से हिंंदी जानने वाले आटों चालक को फोन दिया तो उसने हजब्बा को पूरी बात समझाई। 7 को पद्म विभूषण, 10 को पद्म भूषण और 102 को पद्मश्री महामहिम राष्ट्रपति द्वारा सम्मानित हुए।
वे दान देने वाले हर व्यक्ति की जानकारी फ्रेम करवाकर रखवाते है। आज भी उस पत्रकार का शुक्रिया अदा करते हैं जिसने पहली बार उनकी कहानी छापी थी। कहते है इसके बाद से लोगों के जुड़ने का सिलसिला शुरू हो गया था। 2020 में पद्म सम्मान की घोषणा के बाद भी उन्होंने इसी पत्रकार से इसकी पुष्टि की थी । हजब्बा की पत्नी मैमूना अल्जाइमर्स की मरीज है। उनकी दो बेटियांं और एक बेटा है जो रंग-रोगन का काम करते है। हजब्बा आज भी घर चलाने के लिए संतरा बेचते है। अब तक कई अवार्ड्स से सम्मानित हजब्बा पुरूस्कार राशि स्कूल के लिए दान कर देते हैं। उन्हें उम्मीद है कि पद्म अवार्ड से मिली राशि सेे गांव का स्कूल 12वीं तक का हो जाएगा।
हजब्बा को सादगी की वजह से कर्नाटक में 'अक्षर संत' कहा जाता है। सोमवार को पद्म सम्मान लेने वे राष्ट्रपति भवन नंगे पाव पहुंचे। उन्हें हिन्दी नहीं आती थी। बड़ी मुश्किल से हिंंदी जानने वाले आटों चालक को फोन दिया तो उसने हजब्बा को पूरी बात समझाई। 7 को पद्म विभूषण, 10 को पद्म भूषण और 102 को पद्मश्री महामहिम राष्ट्रपति द्वारा सम्मानित हुए।
