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created Nov 13th 2021, 07:07 by lovelesh shrivatri
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क्योंकि हम सब फिलहाल कोविड-19 के खिलाफ वैश्विक रोग प्रतिरोधक क्षमता हासिल करने की दौड़ में लगे हैं, इसलिए ऐसी बीमारियों के सामने भी कमजोर पड़ते दिखाई दे रहे हैं, जिन्हें पहले हरा चुके हैं। इसके दो कारण हैं- कोरोना वायरस वैक्सीन के राजनीतिकरण के चलते वैक्सीन के प्रति बढ़ता संकोच और शिशु टीकाकरण में आया व्यवधान। हम इस स्थिति को यथावत नहीं रहने दे सकते। स्वास्थ्य अधिकारियों और जनता को चाहिए कि हर बीमारी को मात देने के लिए सुरक्षा चक्र मजबूत किया जाए और विचारधारात्मक मतभेद से ऊपर उठकर बच्चों का नियमित टीकाकरण कार्यक्रम पूरा करवाएं। सभी वैक्सीन दो तरह से काम करती है- पहला, वे संक्रामक बीमारियों के खिलाफ शरीर में प्रतिरोधक स्मृति तैयार करती है। दूसरा, अगर हम किसी ऐसे संवेदनशील व्यक्ति के सम्पर्क में आते है जिसकी प्रतिरोधक क्षमता कम हो, जैसे वृद्धजन; और उन्हें पहले से यह रोग हुआ हो तो भी वैक्सीन हमें संक्रमित होने से बचा सकती है। यानी ज्यादा लोगों द्वारा वैक्सीन लगाने पर परिणाम सर्वश्रेष्ठ आता है। यदि बड़ी आबादी का रोग प्रतिरोधक क्षमता बीमारी का मुकाबला करने में नाकाम होती है तो संबंधित संक्रामक रोग ज्यादा फैल सकता है। कारण यह कि कोई भी वैक्सीन सौ फीसदी प्रभावी नहीं होती। यानी स्वस्थ लोगों के बीच भी संक्रमण के विस्फोट की आशंका बनी रहती है। कितने लोगों का टीकाकरण जरूरी है, यह बीमारी पर निर्भर करता है, जैसे अत्यधिक संक्रामक बीमारी खसरे के लिए टीकाकरण जरूरत भी 95 फीसदी, पोलियों के लिए करीब 80 प्रतिशत है। महामारी आने के पहले ही 2019 में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने चेताया था कि वैक्सीन के प्रति संकोच विश्व स्वास्थ्य संकट के लिए पहले ही बडा खतरा है। वर्ष 2015 से 2019 के बीच खसरे के मामले दुनिया में 50 फीसदी बढ़ गए। अमरीका में वर्ष 2000 में यह बीमारी मिट चुकी थी लेकिन 2019 में खसरे के 1300 मरीज पाए गए, उनमें से 88 फीसदी कम टीकाकरण वाले क्षेत्रों से थे। कारण यह था कि अभिभावक पिछले एक दशक से टीकाकरण से बचते आए है। कोविड-19 महामारी ने वैक्सीन विरोधियों और राजनीति से प्रेरित दूष्प्रचार करने वालों को विरोध का एक और मौका दे दिया। कोरोनावायरस वैक्सीन के खिलाफ बने माहोल का असर बच्चों के नियमित टीकाकरण पर भी पड़ सकता है। कुछ अमरीकी राज्य बच्चों को टीकाकरण से छूट संबंधी विधेयक पारित कर चुके है या करने की तैयारी में है। महामारी अक्सर दूसरी बीमारियों के टीकाकरण में कमी का कारण बनती है क्योंकि स्वास्थ्य सेवाएं गडबडा जाती है।
