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created Dec 6th 2021, 05:47 by Ashu Soni
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सभापति महोदय, यह कोई मामूली बात नहीं है आप इस विधेयक को शुरू से लेकर आखिर तक पढ़ेंगे तो यह बिल्कुल स्पष्ट हो जाऐगा कि किसी खास आदमी के लिए, किसी खास समाज के लिए, किसी खास गुट के लिए यह कानून बन रहा है। इस विधेयक में कहा गया है कि जहाज उद्योग को भी कर्जा दिया जाए पहले यह कर्ज उद्योगों को नहीं दिया जाता था। व्यापार को बढ़ाने के लिए, देश की उन्नति हो इसके लिए यह कानून बनता है। महोदय, हम किसी व्यापार का नाम तो सुनते, लेकिन यह सुन रहे कि लगभग 80 लाख रूपया चीनी उद्योग को दिया गया है, इसका क्या मतलब है इस बारे में पहले भी कई बार इस तरह की बातें कही चुके हैं। लेकिन फिर जब भी कोई संस्था स्थापित होती है तो इसमें कितना कार्य है इतने कर्मचारी लगेंगे इस बात का सही-सही अनुमान लगाना पड़ता है यह ध्यान में रखना चाहिए कि इतना काम है और इसमें इतने कर्मचारी लगेंगे।
साथियो मुझे तो इस सरकार को सरकार कहने में भी लज्जा मालूम होती है यह सरकार जैसी कुछ है ही नहीं यह तो लूटने के लिए कुछ लोगों का समूह बन चुका है, वे और भी कानून बना रहे, इसलिए नहीं बनाते कि उससे देश को लाभ होगा बल्कि किसी खास व्यक्ति को काम मिला जाएं। महोदय नए व्यक्ति बना दिए गए हैं, नए पद बना दिए गए हैं, लेकिन अभी कोई काम नहीं है जरूर नहीं है। मैं इन शब्दों के साथ अपना भाषण पूरा करता हूँ और मैं भी कहता हूँ कि सरकार मेरी बातों पर जरूर विचार करेगी। महोदय, जिस विषय पर अभी चर्चा हो रही है उस विषय पर हमारे देश के जनजीवन, हमारे देश के लोकतंत्र और हमारे देश की कानून और व्यवस्था से सीधा-सीधा संबंध है। महोदय यही कारण है कि आजादी के बाद और आजादी के पहले इस विषय पर हमारे देश के जो राजनीतिज्ञ और जो शिक्षा शास्त्री है जो इस विषय में रूचि रखते हैं देश के प्रशासक रहे उन सभी ने समय-समय पर हमारी जो शिक्षा पद्धति इसमें जिस तरह से परिवर्तन करने की बात कही है इस विषय के बारे में अभी तक गंभीर चिंतन हुए है। आज तक हम अगर इस स्थिति पर विचार करेंगे कि हमारे देश में शिक्षा पद्धति का क्या असर हो रहा है तो हम देखेंगे कि हर तरह केवल पाबंदी है सभी जगह झगड़े हो रहे हैं ऐसा लगता है कि वे सब शिक्षा के मंदिर नहीं है बल्कि हिंसा और उपद्रव के स्थान बन गए हैं।
साथियो मुझे तो इस सरकार को सरकार कहने में भी लज्जा मालूम होती है यह सरकार जैसी कुछ है ही नहीं यह तो लूटने के लिए कुछ लोगों का समूह बन चुका है, वे और भी कानून बना रहे, इसलिए नहीं बनाते कि उससे देश को लाभ होगा बल्कि किसी खास व्यक्ति को काम मिला जाएं। महोदय नए व्यक्ति बना दिए गए हैं, नए पद बना दिए गए हैं, लेकिन अभी कोई काम नहीं है जरूर नहीं है। मैं इन शब्दों के साथ अपना भाषण पूरा करता हूँ और मैं भी कहता हूँ कि सरकार मेरी बातों पर जरूर विचार करेगी। महोदय, जिस विषय पर अभी चर्चा हो रही है उस विषय पर हमारे देश के जनजीवन, हमारे देश के लोकतंत्र और हमारे देश की कानून और व्यवस्था से सीधा-सीधा संबंध है। महोदय यही कारण है कि आजादी के बाद और आजादी के पहले इस विषय पर हमारे देश के जो राजनीतिज्ञ और जो शिक्षा शास्त्री है जो इस विषय में रूचि रखते हैं देश के प्रशासक रहे उन सभी ने समय-समय पर हमारी जो शिक्षा पद्धति इसमें जिस तरह से परिवर्तन करने की बात कही है इस विषय के बारे में अभी तक गंभीर चिंतन हुए है। आज तक हम अगर इस स्थिति पर विचार करेंगे कि हमारे देश में शिक्षा पद्धति का क्या असर हो रहा है तो हम देखेंगे कि हर तरह केवल पाबंदी है सभी जगह झगड़े हो रहे हैं ऐसा लगता है कि वे सब शिक्षा के मंदिर नहीं है बल्कि हिंसा और उपद्रव के स्थान बन गए हैं।
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