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लिपिक, हाईकोर्ट, टाईपिंग टेस्ट- इन्सक्रिप्ट, यूनिकोड

created Dec 16th 2021, 03:52 by GATIMAAN


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दूसरों को स्नेह देना और उनका सम्मान करना सामाजिक सफलता का एकमात्र मंत्र है। जीवन में सुख-शांति और उन्नति चाहने वाले प्रत्येक महत्वाकाँक्षी को सबसे पहले यही सीख धारण करनी चाहिए। युधिष्ठिर के साजसूय यज्ञ में कृष्ण ने लोगों के स्वागत की जिम्मेदारी ली और बदले में वे उस यज्ञ के सर्वाधिक पूज्य व्यक्ति माने गए। ईसी मसीह, गौतम बुद्ध, महावीर, महात्मा गाँधी जैसे महापुरुषों में रंचमात्र भी अभिमान था। उन्होंने सदैव दूसरों को महत्व दिया और वे स्वयं ही महान बन गए। मान-सम्मान का मूल्य चुकाना असम्भव है। अतः विद्यार्थी जीवन का भी प्रथम पाठ यही है, कि वह गुरु के प्रति सच्चे सम्मान का भाव अपने ह्रदय में पैदा करे, अन्यथा उसकी विद्या निष्फल है।

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