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CPCT 16 अक्‍टूबर 2021 शिफ्ट 1

created Dec 16th 2021, 12:30 by highcourt


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जीवन का हर क्षण उज्ज्व्ल भविष्य की सम्भावना लेकर आता है। हर पल एक महान परिवर्तन का समय हो सकता है। मनुष्य यह निश्चयपूर्वक नहीं कह सकता कि जिस वक्त, जिस क्षण और जिस पल को यों ही व्यर्थ में खो रहा है वह ही क्षण उसके भाग्योदय का वक्त नहीं है। क्या पता जिस क्षण को हम व्यर्थ समझकर बरबाद कर रहे हैं वह ही हमारे लिये अपनी झोली में सुन्दर सौभाग्य की सफलता लाया हो। सबके जीवन में एक परिवर्तनकारी वक्त आया करता है। किन्तु मनुष्य उसके आगमन से अनभिज्ञ रहा करता है। इसलिये ज्ञानवान मनुष्य को हर क्षण बहूमूल्य समझकर उसे व्‍यर्थ नहीं जाने देता। कोई भी क्षण व्यर्थ जाने देने से निश्चय ही वह क्षण हाथ से छूटकर नहीं जा सकता जो जीवन में वांछित परिवर्तन का संदेशवाहक होगा। प्रकार हर क्षण को सौभाग्य का पथ प्रशस्त करने वाला समझकर महत्त्वाकांक्षी कर्मवारी जीवन के एक छोटे से भी क्षण की उपेक्षा नहीं करता और निश्चय ही सौभाग्य का अधिकारी बनता है। कोई भी दीर्घसूत्री व्यक्ति संसार में आज तक सफल होते देखा, सुना नहीं गया है। जीवन में उन्नति करने और सफलता पाने वाले व्यक्तियों की जीवनगाथा का निरीक्षण करने पर निश्चय ही उनके उन गुणों में समय के पालन एवं सदुपयोग को प्रमुख स्थान मिलेगा जो जीवन की उन्नति के लिए अपेक्षित होते हैं। समय संसार की सबसे मूल्य वान सम्पदा है। महापुरूषों ने समय को सारी विभूतियों का कारणभूत हेतू माना है। समय का सदुपयोग करने वाले व्यक्ति कभी भी निर्धन अथवा दु:खी नहीं रह सकते। कहने को कहा जा सकता है कि श्रम से ही सम्पत्ति की उपलब्धि होती है किन्तु श्रम का अर्थ भी वक्त का सदुपयोग ही है। असमय का श्रम पारिश्रमिक से अधिक थकान लाया करता है। मनुष्य कितना ही परिश्रमी क्यों हो यदि वह अपने परिश्रम के साथ ठीक समय का सामंजस्‍य नहीं करेगा तो निश्चय ही इसका श्रम या तो निष्फसल चला जायेगा अथवा अपेक्षित फल ला सकेगा। किसान परिश्रमी है, किन्तु यदि वह अपने श्रम को समय पर काम में नहीं लाता तो वह अपने परिश्रम का पूरा लाभ नहीं उठा सकता। वक्त पर जोत कर असमय पर जोता हुआ खेत अपनी उर्वरता को प्रकट नहीं कर पाता। असमय बोया हुआ बीज बेकार चला जाता है। वक्त पर काटी गई फसल नष्ट हो जाती है। संसार में प्रत्येक काम के लिये निश्चित वक्त पर किया हुआ काम कितना भी परिश्रम करने पर भी सफल नहीं होता। प्रकृति का प्रत्येक कार्य एक निश्चित वक्त पर होता है। वक्त पर ग्रीष्म तपता है, वक्त पर पानी बरसता है, वक्त पर ही शीत आता है। वक्त पर ही शिशिर होता और वक्त पर ही बसन्त आकर वनस्पतियों को फूलों से सजा देता है। प्रकृति के इस ऋतु-क्रम में जरा-सा भी व्यवधान जाने से जाने कितने प्रकार के रोगों का प्रकोप हो जाता है चांद-सूरज, गृह-नक्षत्र सब समय पर ही उदय अस्त होते एवं अपनी परिधि में परिभ्रमण किया करते हैं। इनकी सामयिकता में जरा-सा व्यवधान आने से सृष्टि में अनेक उपद्रव उत्पन्न हो जाते हैं और प्रलय के दृश्य  दीखने लगते हैं, समय पालन ईश्वरीय नियमों में सबसे महत्त्वपूर्ण एवं प्रमुख नियम है।  

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