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सीपीसीटी टेस्ट दिनांक 01 जनवरी 2022 हिंदी टायपिंग

created Jan 7th 2022, 16:16 by Ravi Kumar Kewat


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जवानी सा समय तो विश्राम के नाम पर नष्ट करना ही घोर मूर्खता है क्योंकि वही समय है जिसमें मनुष्य अपने जीवन का, अपने भाग्य का निर्माण कर सकता है। जिस तरह लोहा ठण्डा हो जाने पर घन पटकने से कोई लाभ नहीं, उसी तरह अवसर निकल जाने पर मनुष्य का प्रयत्न भी व्यर्थ चला जाता है। विश्राम करें, अवश्य करें। अधिक कार्य क्षमता प्राप्त करने के लिये विश्राम आवश्यक है लेकिन उसका भी समय निश्चित कर लेना चाहिए और विश्राम के लिए ही लेटना चाहिये। कल पर अपने कोई भी काम टालें। जिन्हें आज करना है उन्हें आज ही पूरा कर लेंष इस कल से बचने के लिए ही महात्मा कबीर ने चेतावनी देते हुए कहा है, काल करै सो आज कर, आज करै सो अब। पल में परलै होयगी, बहुरी करैगो कब। स्मरण रखिये प्रत्येक काम का अपना अवसर होता है और अवसर वही है जब वह काम आपके सामने हो। अवसर निकल जाने पर काम का महत्व भी समाप्त हो चाता है तथा बोझ भी अधिक होता जाता है। समय का ठीक ठीक लाभ उठाने के लिए आवश्यक है कि एक समय एके ही काम किया जाय। जो व्यक्ति एक समय में अनेकों काम करना चाहते हैं उनका कोई भी काम पूरा नहीं होता और उनका अमूल्य समय व्यर्थ हा नष्ट हो जाता है। जो काम स्वयं करना है उसे स्वयं ही पूरा करें। अपना काम दूसरों को सुपुर्द कर देना भी एक तरह से दूसरे दिन काम टालने के समान ही है। उस तरह के व्यक्ति का अवसर भी निकल चाता है और उसका काम भी पूरा नहीं होता। संसार में जितने भी महान पुरूष हुए हैं उनकी महानता का एक हा आधार स्तम्भ है कि उन्होंने अपने समय का पूरा पूरा उपयोग किया। एक क्षण भी व्यर्थ नहीं जाने दिया। जिस समय लोग मनोरंजन, खेलतमाशों में मशगूल रहते हैं, व्यर्थ आलस्य प्रमाद में समय गंवाते हैं, उस समय महान व्यक्ति महत्वपूर्ण कामों का सृजन करते रहते हैं। इस तरह का एक भी महापुरूष नहीं जिसने अपने समय को नष्ट किया हो और वह महान बन गया हो। समय भौतिक धन से भी अधिक मूल्यवान है, जो इसे भली प्रकार उपयोग में लाता है वह सभी तरह के लाभ प्राप्त कर सकता है, छोटे से जीवन में भी बहुत सी सफलतायें प्राप्त कर लेती है। वह छोटी सी उम्र में ही दूसरों से बहुत लोग निकल जाता है। समय जितना कीमती और फिर मिलने वाला तत्व है उतना उसका महत्व प्राय: हम लोग नहीं समझते। हममें से बहुत से लोग अपने समय का बहुत ही दुरूपयोग करते हैं, उसको व्यर्थ की बातों मे नष्ट करते रहते हैं। आश्चर्य है समय ही वह पदादर्थ है जो एक निश्चित मात्रा में मनुष्य को मिलता है लेकिन उसका उतना ही अधिक अपव्यय भी होता है। हम व्यर्थ की बकवास, अनावश्यक कामों में जितना  समय नष्ट करते हैं यदी उसका लेखाजोखा लें तो प्रतीत होगा कि हम अवने समय रूपी जीवनधन का एक भारी अंश अपने आप ही व्यर्थ नष्ट कर डालते हैं। यदि हा अपने एक एक मिनट, घण्टे, दिन का उपयोग करें तो कोई कारण नहीं कि हम जीवन में महान सफलताएं प्राप्त करें।

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