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Hindi typing practice.
created Feb 27th 2022, 12:09 by student987
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राजकीय तथा सामाजिक संस्थाए भी परोक्ष रूप से अपराध की दर को प्रभावित करती हैं। विधि के प्रवर्तन में शिथिलता अपराध का एक कारण हैं यदि राजकीय संस्थानों द्वारा विधि का परिचालन कठोरता से किया जाए तो अपराध की दर गिर जाती हैं इसके विपरित यदि विधि के क्रियान्वयन में शिथिलता आ जाए , तो अपराध की दर बढ़ जाती हैं। राजनीतिक संस्थाए निम्न प्रकार से अपराध की दर को प्रभावित करती हैं। राजनीतिक संस्थाए, उच्च आर्थिक स्थिति के ऐसे व्यक्तियों द्वारा प्रभावित रहती है जो अनुचित तरीकों से धन कमाते हैं। यथा मुनाफाखोरी टेक्सों से बचाव श्रमिकों का शोषण आदि,ऐसे व्यक्ति राजनीतिक संस्थाओं की आढ़ में सुरक्षित रहते हैं
राजनीतिक संस्थाए पुलिस पर भी प्रभाव डालती हैं।
फलस्वरूप राजनीतिक संस्थाओं से संबंध अपराधी, कानून की पकड़ से वंचित रहते हैं।
अधिकांश श्वेत बसंत अपराध राजनीतिक संस्थाओं की आड़ में संभव होते हैं। ऐसे अपराधी राजनीतिक संस्थाओं की आर्थिक सहायता देते हैं और अनुचित तरीकों से धन एकत्र करते हैं।
इसी प्रकार सामाजिक संस्थाए भी जिनमें धर्म, रीति-रिवाज आदि मुख्य है अपराध की दर को प्रभावित करती है अपराध की दर को धर्म तथा रीति रिवाज़ निम्न प्रकार से प्रभावित करते है।
धार्मिक संस्थााए अपने अनुसार रूप में अनुयायिओं को धर्मांध बना देती हैं, उनमें अन्य धर्मो में प्रति, सहनशीलता और आदर की भावना समाप्त हो जाती हैं। फलस्वरुप धार्मिक मतभेद सांप्रदायिक विवादो में वृद्धि करते हैं। उग्र रूप में धार्मिक मतभेद, हिंसा का रूप धारण करते है फलस्वरूप अपराध की दर बढ़ती है। इसी प्रकार अनेक सामाजों में ऐसे रीति-रिवाज़ प्रचलित रहते हैं जिनमें हत्या को शौर्य का प्रतीक माना जाता हैं, उधारण के लिए आदिवासी समाजों में सिरोच्छेद की प्रथा प्रचलित हैं इस प्रकार के रीति-रिवाज़ अपराध में वृद्धि करते है। अपराध के प्रचार और प्रसार की दृष्टि से संचार में लोकअभिकरर्णों का विशेष स्थान हैं। अपराध की दर को प्रभावित करने की दृष्टि से इनमें निम्न उल्लेखनीय है। समाचार पत्र निम्न प्रकार से अपराध के प्रसार में योग देते है। समाचार पत्रों में अपराध संबंधी सूचनाएं प्रकाशित होती है। यथा चोरी डकैती और हत्या की घटनाएं इस प्रकार की घटनाओं में अपराधी प्रकृति के लोगों में अपराध के प्रति झुकाव बढ़ाता हैं। अपराध संबंधी सूचनाओं के प्रसार से अपराध लोगों को एक सामान्य व्यवहार की भांति प्रतीत होने लगता हैं। यदि न्यायालयों द्वारा अपराधियों को मिलने वाले दण्ड की सूचना प्रकाशित हो, तो लोग अपराधी व्यवहार को भय की दृष्टि से देखते हैं।
राजनीतिक संस्थाए पुलिस पर भी प्रभाव डालती हैं।
फलस्वरूप राजनीतिक संस्थाओं से संबंध अपराधी, कानून की पकड़ से वंचित रहते हैं।
अधिकांश श्वेत बसंत अपराध राजनीतिक संस्थाओं की आड़ में संभव होते हैं। ऐसे अपराधी राजनीतिक संस्थाओं की आर्थिक सहायता देते हैं और अनुचित तरीकों से धन एकत्र करते हैं।
इसी प्रकार सामाजिक संस्थाए भी जिनमें धर्म, रीति-रिवाज आदि मुख्य है अपराध की दर को प्रभावित करती है अपराध की दर को धर्म तथा रीति रिवाज़ निम्न प्रकार से प्रभावित करते है।
धार्मिक संस्थााए अपने अनुसार रूप में अनुयायिओं को धर्मांध बना देती हैं, उनमें अन्य धर्मो में प्रति, सहनशीलता और आदर की भावना समाप्त हो जाती हैं। फलस्वरुप धार्मिक मतभेद सांप्रदायिक विवादो में वृद्धि करते हैं। उग्र रूप में धार्मिक मतभेद, हिंसा का रूप धारण करते है फलस्वरूप अपराध की दर बढ़ती है। इसी प्रकार अनेक सामाजों में ऐसे रीति-रिवाज़ प्रचलित रहते हैं जिनमें हत्या को शौर्य का प्रतीक माना जाता हैं, उधारण के लिए आदिवासी समाजों में सिरोच्छेद की प्रथा प्रचलित हैं इस प्रकार के रीति-रिवाज़ अपराध में वृद्धि करते है। अपराध के प्रचार और प्रसार की दृष्टि से संचार में लोकअभिकरर्णों का विशेष स्थान हैं। अपराध की दर को प्रभावित करने की दृष्टि से इनमें निम्न उल्लेखनीय है। समाचार पत्र निम्न प्रकार से अपराध के प्रसार में योग देते है। समाचार पत्रों में अपराध संबंधी सूचनाएं प्रकाशित होती है। यथा चोरी डकैती और हत्या की घटनाएं इस प्रकार की घटनाओं में अपराधी प्रकृति के लोगों में अपराध के प्रति झुकाव बढ़ाता हैं। अपराध संबंधी सूचनाओं के प्रसार से अपराध लोगों को एक सामान्य व्यवहार की भांति प्रतीत होने लगता हैं। यदि न्यायालयों द्वारा अपराधियों को मिलने वाले दण्ड की सूचना प्रकाशित हो, तो लोग अपराधी व्यवहार को भय की दृष्टि से देखते हैं।
