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सॉंई कम्‍प्‍युटर टायपिंग इंस्‍टीट्यूट गुलाबरा छिन्‍दवाड़ा म0प्र0 सीपीसीटी न्‍यू बैच प्रारंभ संचालक:- लकी श्रीवात्री मो0नं. 9098909565

created Mar 2nd 2022, 02:59 by lovelesh shrivatri


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जेलों में कई साल से बंद विचाराधीन कैदियों के मुद्दे पर चिंता तो अक्‍सर जताई जाती है, पर उनके मामलों के जल्‍दी निपटारे का कोई पुख्‍ता रास्‍ता नहीं निकल पाता। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट की हाल की व्‍यवस्‍था से उम्‍मीद की कुछ किरणें नजर आई है। शीर्ष अदालत ने उत्तर प्रदेश सरकार को राज्‍य की जेलों में बंद ऐसे कैदियों की रिहाई पर विचार करने का आदेश दिया है, जो 14 साल से जेल में हैं या जिनकी उम्र 60 साल से ज्‍यादा है। अदालत ने एक आरोपी मामले पर स्‍वत: संज्ञान लेकर यह आदेश दिया। यह आरोपी 17 साल से जेल में है। हाई कोर्ट ने उसकी जमानत पर सुनवाई से इसलिए इनकार कर दिया था कि वकील तैयारी के साथ नहीं आए थे। ऐसे मामले हमारी न्‍याय व्‍यवस्‍था पर गंभीर सवाल खड़े करते है। सुप्रीम कोर्ट ने 2014 में व्‍यवस्‍था दी थी कि ऐसे विचाराधीन कैदियों को फोरन जमानत पर रिहा किया जाना चाहिए, जो संभावित अधिकतम सजा का आधा समय जेल में काट चुके हो। 2010 में राष्‍ट्रीय विधिक अभियान के तहत भी जेलों में विचारधीन कैदियों की संख्‍या घटाने का बीड़ा उठाया गया था, पर कुछ नहीं बदला। कानून कहता है कि सात साल तक की सजा वाले अपराधों से जुडे मामलें में आरोपियों को जमानत पर रिहा कर देना चाहिए। ऐसा नहीं हो पा रहा है। गैर-जरूरी गिरफ्तारियां भी बड़ी वजह है। राष्‍ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने 2000 में दिशा-निर्देश जारी किए थे कि पुलिस को सिर्फ उन्‍हीं मामलों में गिरफ्तारी करनी चाहिए, जिनमें जांच-पड़ताल के लिए यह जरूरी हो। इसका भी पालन नहीं हुआ। विचाराधीन कैदियों में कई ऐसे है, जो कानून की अनभिज्ञता के कारण या उचित पैरवी के अभाव में जेलों में बंद है। हर साल होने वाली गिरफ्तारियों में करीब 80 फीसदी आरोपी छोटे-मोटे अपराधों में लिप्‍त होते हैं। इनके फरार होने, अदालत में पेश नहीं होने या गवाहों को डराने-धमकाने की आशंका के बराबर होती है। ऐसे आरोपियों के जमानत के मामले भी लंबे समय तक लटके रहते हैं। पुलिस और न्‍याय तंत्र से ऐसे मामलों में संवेदनशील और मानवीय दृष्टिकोण की दरकार है। किसी निर्दोष को सजा नहीं देना अगर कानून की मूल भावना है तो यह भी कानून की ही भावना है कि बर्गर सजा किसी को लंबे समय तक जेल में रखा जाना चाहिए।  

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