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created Apr 21st 2022, 06:28 by lucky shrivatri
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आज के समय में अधिकतर लोग व्हाट्सएप का इस्तेमाल करते हैं। साथ ही लोग एप पर कई ग्रुपों से भी जुड़े होते हैं, जिनमें अपनी बातें या अन्य जानकारियां साझा करते हैं। इन ग्रुपों में से अगर आप एडमिन हैं तो आपके लिए राहत भरी खबर है। आज केरल हाई कोर्ट ने अपने एक फैसले में कहा है कि किसी भी व्हाट्एप ग्रुप पर यदि कोई भी सदस्य आपत्तिजनक संदेश/तस्वीर या वीडियो साझा करता है तो उसके लिए ग्रुप एडमिन जिम्मेदार नहीं होगा। बीते कई सालों में ऐसे मामले सामने आएं हैं, जिनमें किसी ग्रुप के सदस्य द्वारा आपत्तिजनक संदेश साझा किये गए थे और उन पर कानूनी कार्रवाई भी हुई थी। केरल हाई कोर्ट एक मामले पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें एक ग्रुप में आपत्तिजनक वीडियो साझा करने वाले सदस्य के साथ याचिकाकर्ता एडमिन को भी आरोपी बनाया गया था। दरअसल, मार्च, 2020 में फ्रेंड्स नाम का व्हाट्सएप ग्रुप पर एक अश्लील वीडियो साझा किया गया था। इस फ्रेंड्स नाम के व्हाट्सएप ग्रुप को याचिकाकर्ता ने ही बनाया था और दो अन्य भी एडमिन थे, जिनमें से एक वीडियो साझा करने वाला आरोपी भी था। इस ग्रुप में साझा किये गए वीडियो में एक आरोपी पर सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 की धारा 67 बी (ए), (बी) व (डी) और यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण अधिनियम (पोक्सो) की धारा 13, 14 व 15 के तहत मुकदमा दर्ज हुआ था। बाद में इस दर्ज मुकदमे में एडमिन होने के नाते याचिकाकर्ता को आरोपी बनाया गया था, जिसके बाद याचिकाकर्ता एडमिन हाई कोर्ट चला गया था। इस मामले पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने दिल्ली व बॉम्बे हाई कोर्ट के फैसलों का हवाला देते हुए कहा किसी भी व्हाट्सएप ग्रुप के एडमिन के पास एकाधिकार होता है कि वह ग्रुप में किसी को भी जोड़ या हटा सकता है। किसी ग्रुप में कोई सदस्य क्या पोस्ट कर रहा है, इस पर एडमिन का नियत्रंण कैसे हो सकता है। वह किसी ग्रुप के संदेश को मॉडरेट या सेंसर नहीं कर सकता है। वहीं, मामले में जस्टिस कौसर एडप्पागथ ने कहा कि व्हाट्सएप ग्रुप पर यदि कोई भी सदस्य आपत्तिजनक संदेश साझा करता है तो उसके लिए ग्रुप एडमिन को परोक्ष रूप से जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है।
