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#16 SAIBABA EDUTECH - MPPSC, PEB, उच्च न्यायालय सभी प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए साईबाबा एजुटेक लर्निंग ऐप (Whatsapp-8770662254)
created May 10th 2022, 02:54 by saibabaedutech
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उत्तर प्रदेश की प्रेमी-प्रेमिका किशगनंज से बरामद की गई। यूपी पुलिस किशनगंज पहुंची। पुलिस दोनों को अपने साथ यूपी ले गई। प्रेम प्रसंग का यह मामला है। कहा जा रहा है कि दोनों सहमति से यूपी से बिहार भाग गए। दोनों के स्वजनों ने इस प्रेम प्रसंग को स्वीकार्य नहीं किया। इस कारण दोनों ने भागने का प्लान बनाया। बिहार के किशनगंज पहुंचे। वहां प्रेमी के दोस्त से दोनों का सामना हुआ। इसके बाद प्रेमी के दोस्त ने उसे अपने घर ले गया। लेकिन प्रेमी के दोस्त ने सरपंच की मदद से यूपी पुलिस को इसकी सूचना दे दी। इसके बाद यूपी पुलिस ने किशनगंज पुलिस की मदद से दोनों को बरामद कर लिया। इस पर प्रेमी ने अपने दोस्त से कहा यह क्या कर दिया यार। पुलिस को सूचना नहीं देनी चाहिए की। लेकिन प्रेमी के दोस्त ने कहा कि पुलिस को बताना जरूरी था। दोस्त ने अपने प्रेमी को कहा पुलिस के सहयोग से स्वजनों को मनाना और दोनों शादी कर लेना।
जानकारी के अनुसार, प्रेम-प्रसंग में अपहरण के एक मामले में यूपी पुलिस लड़की के पिता के साथ छत्तरगाछ ओपी पहुंची। यूपी निवासी लड़की के पिता ने बेटी के अपहरण का आरोप लगाया है। ओपी में पहले से लड़का और लड़की मौजूद थी। उत्तर प्रदेश के पुलिस जिला सरस्वती स्थित मल्हीपुर थाना के एसआइ उमेश सिंह ने बताया कि 28 अप्रैल को लड़की के पिता ने आवेदन देकर मल्हीपुर के ही राजन के विरुद्ध शिकायत दर्ज कराई थी। शिकायत में कहा गया था कि राजन ने प्रेम-प्रसंग में बहला-फुसलाकर उनकी बेटी का अपहरण कर लिया है।
लड़का लड़की को लेकर अपने दोस्त के घर छत्तरगाछ पहुंच गया था। मामला संगीन देख दोस्त ने सरपंच के माध्यम से छत्तरगाछ पुलिस को सूचना दी। इसी दौरान यूपी पुलिस को भी इसकी सूचना दी गई। सरपंच अजहरुद्दीन दोनों को छत्तरगाछ ओपी ले आए। छत्तरगाछ ओपी पुलिस ने वरीय अधिकारी के आदेशानुसार विधिवत लड़का और लड़की को यूपी पुलिस को सौंप दिया। यूपी पुलिस ने बताया कि मामला प्रेम-प्रसंग का है। लड़का और लड़की दोनों अलग-अलग समुदायों से हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि एक व्यक्ति जिसे प्राथमिकी में आरोपित के रूप में शामिल नहीं किया गया है, वह किसी आपराधिक मामले में किसी अन्य व्यक्ति से संबंधित कार्यवाही को रद करने का अनुरोध नहीं कर सकता है। जस्टिस एएम खानविलकर और सीटी रविकुमार की पीठ ने यूपीपीसीएल भविष्य निधि निवेश घोटाले के संबंध में दर्ज एक प्राथमिकी को रद करने के अनुरोध संबंधी याचिका पर सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी की।
लखनऊ के हजरतगंज पुलिस थाने में दर्ज इस मामले की जांच शुरू में उत्तर प्रदेश पुलिस कर रही थी। बाद में इसे सीबीआइ को स्थानांतरित कर दिया गया।पीठ ने कहा, इसमें कोई विवाद नहीं है कि याचिकाकर्ताओं को उक्त अपराध में आरोपित के तौर पर शामिल नहीं किया गया है। यदि याचिकाकर्ताओं को इस अपराध में आरोपित के रूप में शामिल नहीं किया गया है तो अपराध से संबंधित कथित प्राथमिकी या मामले को रद करने का प्रश्न ही नहीं उठता। पीठ ने अपने हाल के आदेश में कहा कि अदालत हुकुम चंद गर्ग और अन्य द्वारा मांगी गई राहत के अनुरोध की जांच करने का इरादा नहीं रखती है। हालांकि, जब सीबीआइ अपराध के सिलसिले में उनका नाम लेगी तो वे उचित उपाय का सहारा ले सकते हैं। पीठ ने कहा कि सीबीआइ के जांच अधिकारी याचिकाकर्ताओं के खिलाफ कार्रवाई करने से पहले उन्हें 48 घंटे का अग्रिम नोटिस देंगे, ताकि वे उचित उपाय का सहारा ले सकें।
जानकारी के अनुसार, प्रेम-प्रसंग में अपहरण के एक मामले में यूपी पुलिस लड़की के पिता के साथ छत्तरगाछ ओपी पहुंची। यूपी निवासी लड़की के पिता ने बेटी के अपहरण का आरोप लगाया है। ओपी में पहले से लड़का और लड़की मौजूद थी। उत्तर प्रदेश के पुलिस जिला सरस्वती स्थित मल्हीपुर थाना के एसआइ उमेश सिंह ने बताया कि 28 अप्रैल को लड़की के पिता ने आवेदन देकर मल्हीपुर के ही राजन के विरुद्ध शिकायत दर्ज कराई थी। शिकायत में कहा गया था कि राजन ने प्रेम-प्रसंग में बहला-फुसलाकर उनकी बेटी का अपहरण कर लिया है।
लड़का लड़की को लेकर अपने दोस्त के घर छत्तरगाछ पहुंच गया था। मामला संगीन देख दोस्त ने सरपंच के माध्यम से छत्तरगाछ पुलिस को सूचना दी। इसी दौरान यूपी पुलिस को भी इसकी सूचना दी गई। सरपंच अजहरुद्दीन दोनों को छत्तरगाछ ओपी ले आए। छत्तरगाछ ओपी पुलिस ने वरीय अधिकारी के आदेशानुसार विधिवत लड़का और लड़की को यूपी पुलिस को सौंप दिया। यूपी पुलिस ने बताया कि मामला प्रेम-प्रसंग का है। लड़का और लड़की दोनों अलग-अलग समुदायों से हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि एक व्यक्ति जिसे प्राथमिकी में आरोपित के रूप में शामिल नहीं किया गया है, वह किसी आपराधिक मामले में किसी अन्य व्यक्ति से संबंधित कार्यवाही को रद करने का अनुरोध नहीं कर सकता है। जस्टिस एएम खानविलकर और सीटी रविकुमार की पीठ ने यूपीपीसीएल भविष्य निधि निवेश घोटाले के संबंध में दर्ज एक प्राथमिकी को रद करने के अनुरोध संबंधी याचिका पर सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी की।
लखनऊ के हजरतगंज पुलिस थाने में दर्ज इस मामले की जांच शुरू में उत्तर प्रदेश पुलिस कर रही थी। बाद में इसे सीबीआइ को स्थानांतरित कर दिया गया।पीठ ने कहा, इसमें कोई विवाद नहीं है कि याचिकाकर्ताओं को उक्त अपराध में आरोपित के तौर पर शामिल नहीं किया गया है। यदि याचिकाकर्ताओं को इस अपराध में आरोपित के रूप में शामिल नहीं किया गया है तो अपराध से संबंधित कथित प्राथमिकी या मामले को रद करने का प्रश्न ही नहीं उठता। पीठ ने अपने हाल के आदेश में कहा कि अदालत हुकुम चंद गर्ग और अन्य द्वारा मांगी गई राहत के अनुरोध की जांच करने का इरादा नहीं रखती है। हालांकि, जब सीबीआइ अपराध के सिलसिले में उनका नाम लेगी तो वे उचित उपाय का सहारा ले सकते हैं। पीठ ने कहा कि सीबीआइ के जांच अधिकारी याचिकाकर्ताओं के खिलाफ कार्रवाई करने से पहले उन्हें 48 घंटे का अग्रिम नोटिस देंगे, ताकि वे उचित उपाय का सहारा ले सकें।
