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बंसोड कम्प्यूटर टायपिंग इन्स्टीट्यूट छिन्दवाड़ा म0प्र0 CPCT, DCA, PGDCA, TALLY प्रवेश प्रारंभ मो.नं.
created Saturday May 14, 03:40 by neetu bhannare
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उपाध्यक्ष महोदय, इस सदन में और बाहर भी इस बात पर काफी बहस हो चुकी है कि क्या कारण है कि कई देशों में आम लोगों को इंसाफ जल्दी क्यों मिल जाता है और भारत में इसके लिए इतनी देर क्यों लगती है। राज्यों के मुख्य न्यायाधीशों, मुख्यमंत्रियों और कानून मंत्रियों के दो दिन के सम्मेलन में कई वक्ताओं ने अपने विचार व्यक्त किए जिनमें अधिकतर वक्ताओं के मतानुसार भारत में कानून दो दृष्टि से अपनाएं गए हैं लेकिन खेद की बात है कि इन कानूनों का जैसा अमल होना चाहिए वैसा नहीं हो रहा खासकर औरतों के अधिकारों को छुआछूत और दहेज जैसी सामाजिक बुराइयों के कानून सही तरीके से लागू नहीं हो रहे हैं। गरीबों को मुफ्त कानूनी सहायता देने की दिशा में भी बहुत काम नहीं हो पाया है। मेरा अनुरोध है कि अब समय आ गया है जब हमें न्याय की ऐसी प्रणाली बनानी चाहिए जो तेज हो आसान और असरदार हो। इंसाफ दिलाने के रास्ते में आनेवाली बाधाओं को जल्द दूर किया जाना चाहिए। अदालतों में करोड़ों के दीवाने मुकदमे लटके हुए हैं इस कारण गरीबी हटाने और अन्य विकास कार्यों में रुकावट पड़ रही है। मुझे पता चला है कि इस समय देश की विभिन्न अदालतों में सरकार को मिलने वाली दो हजार करोड़ रूपये की राशि मुकदमेबाजी के करण फंसी हुई है। इससे गरीब लोग प्रभावित होते हैं यह कि बडे-बड़े उद्योगपति या एकाधिकार वाले बड़े घराने जिनके पास लंबे समय तक मुकदमेबाजी करने के लिए पर्याप्त पैसा है। इस तरह की देरी लोकतंत्रीय ढांचे को नुकसान पहुचाती है वह ढांचा जिससे पूरा देश बंधा हुआ है। मेरे विचार में हर राज्य के लिए जिसमें पूर्वोत्तर राज्य भी शामिल हैं अलग से उच्च न्यायालय का गठन किया जाना चाहिए। साथ ही मुख्य न्यायालयों में राज्य के बाहर से मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति पर भी विचार करने की जरूरत है। भविष्य में मुकदमे के निपटान में देर न हो इस ओर ध्यान देना बहुत जरूरी है। विलंब के सवाल पर भारत के मुख्य न्यायाधीशों की एक बैठक बुलाई जाए तथा इस संबंध में उनकी सलाह ली जाए। सरकार न्यायाधीशों के प्रशिक्षण के लिए एक संस्थान का गठन करे। इसके लिए अनुभवी व्यक्तियों तथा अवकाश प्राप्त न्यायाधीशों को भी शामिल किया जाए। कानून मंत्री का यह कथन भी स्वागत योग्य है कि हर स्तर पर योग्य और कुशल न्यायाधीशों की नियुक्ति की जाए क्योंकि हमें देश में कानून की एक बहुत ही प्रभावशाली प्रणाली लागू करनी है।
मेरा सुझाव है कि भारत में कोर्ट फीस या तो कम कर दी जाए अथवा समाप्त कर दी जाए। मुकदमे में जीतने वाले लोगों पर एक टैक्स लगाया जा सकता है इससे अदालतों की आमदनी बढ़ेगी। एक ऐसी व्यवस्था लागू की जाए जिससे विवादों पर अदालतों अथवा उनके बाहर तेजी से और कम खर्च पर फैसला किया जा सके।
मेरा सुझाव है कि भारत में कोर्ट फीस या तो कम कर दी जाए अथवा समाप्त कर दी जाए। मुकदमे में जीतने वाले लोगों पर एक टैक्स लगाया जा सकता है इससे अदालतों की आमदनी बढ़ेगी। एक ऐसी व्यवस्था लागू की जाए जिससे विवादों पर अदालतों अथवा उनके बाहर तेजी से और कम खर्च पर फैसला किया जा सके।
