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साँई कम्‍प्‍यूटर टायपिंग इंस्‍टीट्यूट गुलाबरा छिन्‍दवाड़ा म0प्र0 संचालक:- लकी श्रीवात्री मो0नां. 9098909565

created May 25th 2022, 04:50 by lucky shrivatri


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पुलिस द्वारा अभिलेख पर उपरोक्‍त कराए गए प्रास्थिति रिपोर्ट/उत्तर का परिशीलन करने से यह इंगित होता है कि तारीख 11 जनवरी, 2000 को याची जिसे बिना किसी अनुज्ञप्ति के कोरेक्‍स की 11 बोतल ले जाते हुए पकड़ा गया था। तद्नुसार उक्‍त अधिनियम की धारा 21, 61 और 85 के अधीन उसके उपरोक्‍त प्रथम इत्तिला रिपोर्ट दर्ज की गई। अभिलेख से यह भी प्रकट हुआ है कि चूंकि तारीख 11 जनवरी, 2000 को जमानत याची को न्‍यायिक अभिरक्षा में लिया गया था और याची से मन:प्रभावी पदार्थ की पूर्वोक्‍त की बरामदगी के अनुसरण में याची से बोतल बरामद की गई थी जिन्‍हें रसायनिक विश्‍लेषण के लिए राज्‍य न्‍यायालयिक प्रयोगशाला, मध्‍यप्रदेश, भोपाल भेजा गया था। राज्‍य न्‍याया‍लयिक प्रयोगशाला ने अपने रिपोर्ट में यह निष्‍कर्ष निकाला कि प्रदर्शित कोरेक्‍स में कोडिन फास्‍फेट मौजूद है। अभिलेख से यह भी प्रकट हुआ है कि तारीख 01 मार्च, 2009 को विधि सक्षम न्‍यायालय में चालान पेश किया गया था। आवेदक द्वारा जमानत आवेदन पेश किया गया। राज्‍य न्‍यायालयिक प्रयोगशाला की पूर्वोक्‍त रिपोर्ट के अनुसार कोडिन फास्‍फेट अर्थात् प्रतिषिद्ध  इससे यह अभिप्रेत है कि कोरेक्‍स की बरामदगी की एक बोतल में प्रतिषिद्ध ओषधि की मात्रा 2 मिली ग्राम है। यदि बरामद की गई सभी 11 बोतल को विचार में लिया जाए तो कम मात्रा से भी कम मात्रा का प्रकट होना पाया गया है। यह भी ध्‍यान में आया है कि राज्‍य न्‍याया‍लयिक प्रयोगशाला ने जब यह निष्‍कर्ष निकाला कि कोरक्‍स के 100 मिली लीटर बोतल में 2 मिली ग्राम कोडिन फास्‍फेट पाया गया है तब कोरेक्‍स के एक बोतल में शेष अंतर्वस्‍तु या मिश्रण के बारे में कही भी कोई राय प्रकट नहीं की गई है। इसलिए उस बात के अभाव में केवल एक ही निष्‍कर्ष निकाला जा सकता है कि कोरेक्‍स की 100 मिली लीटर बोतल में कोडिन फास्‍फेट की थोड़ी मात्रा अर्थात् 2 मिली ग्राम मौजूद है। इस न्‍यायालय का सावधानीपूर्वक परिशीलन करके यह निष्‍कर्ष निकाला है कि इस न्‍यायालय का एक समान मत को एक ही तथ्‍यो और परिस्थितियों पर जमानत मंजूर करते करने के लिए विचार में लिया जाए, स्‍वीकृतत: जिन परिस्थितियों में कोरेक्‍स के बोतलों को बरामद किया गया था निर्विवादत:  मामले के पर्वोक्‍त पहलू पर विचारण के दौरान विचारण न्‍यायालय द्वारा ब्‍योरेवार रूप में विचार किया जाना/परीक्षा जाना अपेक्षित है। अधिनियम की धारा 2 खंड 7 और 22-क के अधीन विहित की गई शक्तियों को प्रयोग करते हुए केन्‍द्रीय सरकार द्वारा जारी की गई अधिसूचना को परिशीलन करने पर यह इंगित होता है कि ओषधि अर्थात् कोडिन की  10 ग्राम थोड़ मात्रा के रूप में विहित की गई है। वर्तमान मामले में स्‍वीकृतत: प्रतिषिद्ध ओषधि की मात्रा अर्थात् कोडिन फास्‍फेट कम मात्रा से भी कम है जैसा कि राज्‍य न्‍यायालयिक प्रयोगशाला की रिपोर्ट से स्‍पष्‍ट है और इस प्रकार अधिनियम की धारा 37 की कठोरता वर्तमान मामले में लागू नहीं होती है। उपरोक्‍त बातो के अतिरिक्‍त श्री नेगी विद्वान अपर महाधिवक्‍ता ने अनुदेशों के अधीन ऋजुतापूर्वक यह कथन किया है कि वर्तमान मामले में अन्‍वेषण पूरा हो चुका है।              

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