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SHAHID MANSOORI, MP HIGH COURT ag3 hindi typing with zero error, khurai, sagar,m.p.
created Aug 4th 2022, 05:32 by Ghulam Mustafa
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उक्त करार के माध्यम से यह भी करार किया गया था कि नीलामी क्रेता करार निष्पादन के तुरन्त पश्चात् किसी न्यायालय में उसके द्वारा या उसकी ओर से अन्य व्यक्ति द्वारा फाइल की गई कार्यवाहियों को वापस ले लेगा। इस बात का उद्देश्य यह था कि न्यायालय कार्यवाहियों से होने वाली जटिलता और विलंब के बिना अतिशेष रकम का तुरन्त संदाय किया जा सके। उस समय यह भी करार किया गया था कि यदि नीलामी क्रेता किसी भी किस्त का संदाय करने में या अन्य बातों में कोई व्यतिक्रम करता है तो उसकी बोली रद्द कर दी जाएगी और उस दशा में उसके द्वारा जमा किया गया अग्रिम धन तथा संदत्त ब्याज भी संपहृत कर लिया जाएगा। उस करार में यह भी उपबंध किया गया था कि पचास प्रतिशत के बराबर बोली की रकम के बराबर की कुल रकम का संदाय किए जाने पर और पचास प्रतिशत की अतिशेष रकम के लिए विहित रीति में बैंक प्रत्याभूति दिए जाने पर दिल्ली विकास प्राधिकरण अलग से नीलामी क्रेता को उक्त भूखण्ड पर मंजूर किए गए भवन रेखांकन और नीलामी के निबंधनों और शर्तों के अनुसार किसी भवन का निर्माण करने की मंजूरी देगा। नीलामी क्रेता को उसमें कोई अधिकार, हक या हित नहीं होगा और न ही यह किसी अन्य व्यक्ति के पक्ष में ऐसा कोई अधिकार सृजित करेगा। सभी कारणों और प्रयोजनों के लिए उक्त भूखण्ड पर प्राधिकरण का विधिक कब्जा तब तक रहेगा जब तक कि नीलामी रकम और उसके ऊपर संदेय ब्याज और विलंब के लिए किए गए संदेय ब्याज का संदाय नीलामी क्रेता द्वारा प्राधिकरण को नहीं कर दिया जाता है। इस करार में आगे यह भी कथन किया गया था कि दिल्ली विकास प्राधिकरण नीलामी क्रेता की निष्ठा और विश्वास पर उसको विशेषाधिकार देने के लिए सहमत हुआ है और क्योंकि भूखण्ड संपत्ति के संबंध में बाजार में जो कठिनाई अभिकथित की गई है और पिछले कुछ मास के दौरान भूखण्ड की कीमत बहुत अधिक गिर गई है उसको देखते हुए दिल्ली विकास प्राधिकरण ने विशेषाधिकार की मंजूरी दी है। करार में यह भी कथन किया गया था कि विशेषाधिकार मंजूर करने के लिए और करार करने के लिए तथा अनुज्ञप्ति विलेख को केन्द्रीय सरकार के निदेशानुसार किया गया है।
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