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कुछ दिन पहले एक बड़ी खबर आई थी कि पंजाब के स्वास्थ्य मंत्री फरीदकोट में एक अस्पताल का निरीक्षण करने गए और गंदे गद्दे देखकर उन्होंने बाब फरीद चूनिवर्सिटी ऑफ हेल्थ-साइंस के कुलपति डॉ.राज बहादुर को बुलवाकर उसे गद्दे पर लेटने को कहा। मंत्री के व्यवहार से आहत डॉक्टर ने इस्तीफा दे दिया। इस घटना को मीडिया ने बहुत उजागर किया। लेकिन राजनीतिक मर्यादा एक अहम मुद्दा है। क्या किसी को किसी से बदतमीजी से पेश आना चाहिए ? क्या वही बात सभ्य तरीके से नहीं कही जा सकती ? साथ ही, अस्पताल में सफाई की कमी क्यों है, इनकी जिम्मेदारी किसकी है, यदि अस्पताल में बेड हैं तो उनकी चद्दर इत्यादि की सफाई की क्या व्यवस्था है, इन मुद्दों पर खास चर्चा नहीं हुई। मंत्री ने शायद यह नहीं पूछा कि अस्पताल में कितने सफाई कर्मचारी होने चाहिए, कितने ड्यूटी पर थे। नियुक्ति और उपस्थिति कम है तो क्यों ? गद्दा फटा है तो क्यों ? क्या इसके पीछे भ्रष्टाचार है ? या बजट नहीं हैं ? अस्पाल व्यवस्था से संबंधित ऐसे मुद्दे हाल ही में सपंन्न पब्लिक हेल्थ फेसिलिटीस सर्वे, 2022 में भी उठे। 2013 में हमने चार हजार राज्यों की लगभग 150 स्वास्थ्य सुविधाओं को सर्वे किया था। बिहार, झारखंड, हिमाचल प्रदेश और राजस्थान उस सर्वे में शामिल थे। 10 साल बीतने पर उन्हीं काफिर से अब जायजा लिया। इसके अलावा एक नए राज्य (छत्तीसंगढ़) को भी शामिल इसलिए किया क्योंकि सुना था कि वहां की राज्य सरकारों ने स्वास्थ्य पर अच्छा काम किया है। सरकारी स्वास्थ्य सुविधाओं में सेवाओं की सक्रियता को जांचना सर्वे का मुख्य उद्देश्य था। स्वास्थ्य सुविधा में सफाई का मुद्दा भी शामिल है, हालांकि वह मुख्य केंद्र बिंदु नहीं। सर्वे में सफाई से संवंधित कई मुद्दे चर्चा योग्य हैं। सरकारी स्वास्थ्य सुविधाओं में कई पदों पर नियुक्तियां नहीं हुई हैं, जिसमें सफाई कर्मचारी भी शामिल हैं। हालांकि डॉक्टर, नर्स, लब टेवनीशियन के अभी भी स्थाई पद होते हैं, सफाई कर्मचारी के पद अब ज्यादातर (या फिर पूर्ण रूप से ) कांट्रेक्ट पर ही होते हैं। उप स्वास्थ्य केंद्र पर सफाई कर्मचारी की कांट्रेक्ट पोस्ट/बजट भी नहीं होने की बजह से नर्स या तो खुद सफाई करती हैं या किसी को 200-400 रुपए देकर करवाती हैं।
