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created Sep 27th 2022, 10:53 by Shreebageshwar Academy
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बहुत समय पहले की बात है यूरोप महद्वीप के जर्मनी देश में एक पति और पत्नी रहा करते थे। दोनों का एक दूसरे के सिवा और कोई नहीं था। विवाह के कई वर्षों उपरांत भी उनकी कोई संतान नहीं हुई। समय इसी प्रकार से गुजर रहा था कि अचानक एक दिन स्त्री को अपनी कोख में संतान की अनुभूति हुई और गर्भावस्था के दौरान उसको कुछ इस प्रकार महसूस हुआ कि उसका रेपंजेल नामक शाक खानी चाहिए। आसपास वह शाक कहीं भी उपलब्ध नहीं थी। पति पत्नी एक जादूगरनी के बगीचे के समीप ही रहते थे। पन्ती के मन की बात जब पति ने सुनी तो पति ने उससे वादा किया कि वह उसके लिए रेपंजेल नाम की वह शाक साथ लेकर आएगा। बगीचे में चोरी से घुसकर उसने वह शाक अपनी पत्नी के लिए तोड़ी और यह क्रम कई दिनों तक चलता रहा। एक दिन बगीचे की मालकिन जादूगरनी ने, जिसका नाम डेम गोथेल था, उसे यह चोरी करते हुए देख लिया और जादूगरनी ने पति को बंधक बना लिया। पति जादूगरनी के सामने बहुत गिड़गिड़ाया और अंतत: जादूगरनी एक शर्त पर वह शाक उसकी पत्नी के लिए देने के लिए राजी हो गई। शर्त यह थी कि संतान के जन्म के बाद वह उसे जादूगरनी को सौंप देगा। मायूस मन से पति ने उसकी वह बात मान ली और बच्चे के जन्म होते ही उसने जादूगरनी के हाथों अपनी पुत्री को सौंप दिया। जादूगरनी ने अत्यंत मनोयोग से उसकी पुत्री का पालन पोषण किया और उसका नाम उसी शाक के नाम पर रेपंजेल रखा। रेपंजेल एक अत्यंत रूपवती कन्या के रूप में धीरे धीरे विकसित होने लगी। उसके सुनहरे बाल और अद्वितीय रूप की चर्चा आसपास की जगह पर धीमे-धीमे से फैलने लगी। कन्या के 12 वर्ष के होते ही जादूगरनी डेम गोथेल ने उसको एक ऐसी मीनार में कैद कर दिया, जिसमें ना तो कोई दरवाजा था और ना चढ़ने के लिए ही कोई सीढ़ी। इसमें एक ऊंचे स्थान पर एक कमरा था, जिसमें कि केवल एक खिड़की थी, जादूगरनी अपनी जादूई शक्तियों के माध्यम से छोटी बच्ची तक पहुंचती और हर दिन उससे मिलने के लिए दिन के समय जरूर जाती। इसी प्रकार से दिन बीतने लगे वह बच्ची बड़ी होकर एक अत्यंत रूपवती स्त्री के रूप में विकसित हुई। उसके लंबे घने सुनहरे बाल इतने लंबे हो गए की बाद में जादूगरनी उनके सहारे मीनार पर चढ़कर कमरे में आने और जाने लगी। ऐसा करते वक्त वह रेपंजेल को पुकारते हुए कहती, रेपंजेल अपने बाल गिराओ, ताकि मैं तुम्हारे सुनहरे बालों पर चढ़कर ऊपर आ सकूं।
समय इसी तरह से गुजरता गया और एक दिन किसी राज्य का राजकुमार घूमते घूमते उसी क्षेत्र में आ गया, जहां पर रेपंजेल उस मीनार में रहती थी। रेपंजेल की आवाज में अद्वितीय मिठास थी, जब वह गाती थी तो जैसे समय ठहर जाता था। एक दिन राजकुमार को टहलते टहलते एक मधुर आवाज़ सुनाई पड़ी। कन्या के 12 वर्ष के होते ही जादूगरनी डेम गोथेल ने उसको एक ऐसी मीनार में कैद कर दिया, जिसमें ना तो कोई दरवाजा था और ना चढ़ने के लिए ही कोई सीढ़ी।
समय इसी तरह से गुजरता गया और एक दिन किसी राज्य का राजकुमार घूमते घूमते उसी क्षेत्र में आ गया, जहां पर रेपंजेल उस मीनार में रहती थी। रेपंजेल की आवाज में अद्वितीय मिठास थी, जब वह गाती थी तो जैसे समय ठहर जाता था। एक दिन राजकुमार को टहलते टहलते एक मधुर आवाज़ सुनाई पड़ी। कन्या के 12 वर्ष के होते ही जादूगरनी डेम गोथेल ने उसको एक ऐसी मीनार में कैद कर दिया, जिसमें ना तो कोई दरवाजा था और ना चढ़ने के लिए ही कोई सीढ़ी।
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