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साँई कम्प्यूटर टायपिंग इंस्टीट्यूट गुलाबरा छिन्दवाड़ा म0प्र0 संचालक:- लकी श्रीवात्री मो0नां. 9098909565
created Nov 29th 2022, 09:30 by sandhya shrivatri
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				पानी की कमी को पूरा करने और जल को बहने से बचाने के लिये प्राकृतिक संसाधनों और कृत्रिम डिजाइन संसाधनों के जरिये बारिश के पानी को एकत्रित और संग्रहित करना वर्ष जल संचयन है। कई सारे कारणों से जल संचयन की मात्रा प्रभावित होती है जैसे बारिश की प्रायिकता व बारिश की मात्रा तथा बारिश के पानी को एकत्रित करने का तरीका और पानी को एकत्रित करने के लिये संसाधनों का आकार। कई सारी वजहों जैसे वनों की कटाई और पर्यावरण असंतुलन से भौमजल घटता जा रहा है। खासतौर से शहरी क्षेत्रों में लगातार बढ़ते शहरीकरण और उपनिवेशीकरण के कारणों कदम नही उठाये गये तो आने वाले समय में पानी की कमी का खतरा बड़े पैमाने पर बढेगा और ये जीवन के लिये खतरा साबित हो सकता है। जल घटाना और किसी भी समय सरल जल आपूर्ति सुलभ कराना जब भी इसकी जरूरत होगी। बारिश के पानी का संग्रहण सभी क्षेत्रों के लोगों के लिये बहुत जरूरी है। अलग-अलग  प्रयोजनों के लिये पानी की मां को सतह का जल पूरा नहीं कर सकता है। अपने सभी जरूरतों के लिये भूमि जल पर सभी निर्भर है। वनों की कटाई व तेजी से बढता शहरीकरण तथा नीचे की मृदा से बारिश का पनी रिसना आदि के कारण लगातार भौमजल घट रहा है। जल संचयन सडकों पर बाढ़ का खतरा और मृदा के घिसावट के खतरे को कम करता है। भावी समय में  उपयोग के लिये सतह के जल को एकत्रित करना। भूमि जल का पुनर्भरण  करना साथ साथ ही जल की विशेषता को सुधारता है। सतह से बारिश के पानी को एकत्रित करना बहुत ही असरदार और पारपरिक तकनीक है। इसे छोटे तालाबों व भूमिगत टैकों या डैम अथवा बांध आदि के प्रयोग से किया जा सकता है। हालांकि भौमजल की पुनर्भरण तकनीक संग्रहण का एक नया तरीका है। निजी रूप से बारिश के पानी का संचय कई प्रकार से कर सकता है। ये पानी की आपूर्ति व बिल खासतौर से संगठनों के बिलों में कमी लाता है। इसमें कम पीएच और र्सिफ कठोरता होती है जो इसे घरों व कारखानों तथा दूसरे कामधंधों में प्रयोग करने के लायक बनाता है। ये सार्वजनिक जल आपूर्ति स्त्रोतों की चिंता को कम कर सकता है। जमीन में बारिश के पानी के पुनर्भरण से तटीय क्षेत्रों में ताजे पानी के स्त्रोतो में सागरीय जल से बचाता है। शहरी बाढ नियंत्रण में ये मदद करता है अगर  लोग छतों से बारिश के पानी को एकत्रित करते है। ये नगरपालिका से लोगों की जल मांग को घटाएगा जिससे पूरे शहर में वितरण में भी कम उर्जा खर्च होगी। तमिलनाडु भारत की एकमात्र जगह है जहां बारिश के पानी को एकत्रित करना जरूरी है। तमिलनाडु सरकार ने ये घोषणा कि है केरल में कई जगहों पर बारिश के जल को एकत्रित करने के लिये लगभग पचास हजार ढांचो को लगाया है। अब तमिलनाडु में लगभग चार हजार मंदिरों में वर्षा जल संग्रहण के लिये टैंक है जो जमीन के पानी को पुनर्भरण में भी मदद कर रहे है।  
			
			
	        
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