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साँई कम्प्यूटर टायपिंग इंस्टीट्यूट गुलाबरा छिन्दवाड़ा म0प्र0 संचालक:- लकी श्रीवात्री मो0नां. 9098909565
created Jan 25th 2023, 04:01 by lovelesh shrivatri
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229 words
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				शीत ऋतु अपने चरम पर थी। चारों ओर पहाड़ों और जंगलों से घिरा हुआ एक सुंदर सा गांव था। वहां एक छोटी लड़की रहती थी। उसे अपनी सहेली के घर जाने की इच्छा हुई। वह अपने हाथ में सिर्फ एक रोटी का टुकड़ा लेकर घर से चली, उसने सड़क के किनारे एक बूढ़े को देखा। मैं भूखा हूं, उसने कहा मुझे कुछ खाने को दो। लड़की ने उसे रोटी का टुकड़ा दे दिया। वृद्ध ने अपने दोनों हाथ उठाकर उसे आर्शीर्वाद दिया।  
थोड़ा आगे जाने पर उसे एक छोटा बच्चा मिला, बच्चे ने लडकी से प्रार्थना कि मुझे ओढ़ने के लिए कुछ दो। लड़की ने थोडी देर सोचने के बाद झटपट अपना साल निकालकर उसे दे दिया। थोड़ा आगे गई एक बच्चा ठंड से कांप रहा था, लड़की को उस पर दया आ गई। उसने अपनी मफलर से बच्चे को ढक दिया। थोड़ा आगे चलने के बाद अब वह खुद सर्दी से कांपने लगी, वह एक पेड़ के नीचे दुबक कर बैठ गई।
अगले ही पल उसने तारों को आसमान से नीचे गिरते देखा। उसने जब गौर से देखा तो वे सोने के सिक्के थे, उसका शरीर सुंदर कपड़े से ढक गया, उसके पैरों में जूते थे, गले में मफलर थी। उसके सामने एक सुंदर सी टोकरी थी, जो फलों और मिठाइयों से भरी हुई थी। भगवान ने उसकी दयालुता के लिए उसे आशीर्वाद और इनाम दिया था।
			
			
	        थोड़ा आगे जाने पर उसे एक छोटा बच्चा मिला, बच्चे ने लडकी से प्रार्थना कि मुझे ओढ़ने के लिए कुछ दो। लड़की ने थोडी देर सोचने के बाद झटपट अपना साल निकालकर उसे दे दिया। थोड़ा आगे गई एक बच्चा ठंड से कांप रहा था, लड़की को उस पर दया आ गई। उसने अपनी मफलर से बच्चे को ढक दिया। थोड़ा आगे चलने के बाद अब वह खुद सर्दी से कांपने लगी, वह एक पेड़ के नीचे दुबक कर बैठ गई।
अगले ही पल उसने तारों को आसमान से नीचे गिरते देखा। उसने जब गौर से देखा तो वे सोने के सिक्के थे, उसका शरीर सुंदर कपड़े से ढक गया, उसके पैरों में जूते थे, गले में मफलर थी। उसके सामने एक सुंदर सी टोकरी थी, जो फलों और मिठाइयों से भरी हुई थी। भगवान ने उसकी दयालुता के लिए उसे आशीर्वाद और इनाम दिया था।
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