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साँई कम्‍प्‍यूटर टायपिंग इंस्‍टीट्यूट गुलाबरा छिन्‍दवाड़ा म0प्र0 संचालक:- लकी श्रीवात्री मो0नां. 9098909565

created Feb 15th 2023, 09:44 by Sai computer typing


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विश्‍व एक खतरनाक नए, परमाणु युग के कगार पर खड़ा है और यूक्रेन युद्ध भविष्‍य की एक झलक पेश कर सकता हैं। इसी को दर्शाने के लिए पृथ्‍वी पर कयामत की घड़ी बताने वाली डूम्‍सडे क्‍लॉक को मध्‍य रात्रि (यानि इस घड़ी यंत्र पर प्रलय का समय) के 90 सेंकड और करीब कर दिया गया हैं। डूम्‍सडे क्‍लॉक परमाणु वैज्ञानिकों की राय बताने वाला संकेतक है जो यह दिखाता है कि मानवता स्‍वयं को नष्‍ट करने के कितने करीब हैं। अगर यूक्रेन युद्ध में परमाणु अस्‍त्रों का इस्‍तेमाल भी हो और रूस किसी किसी तरह जीत जाए तो भी यह माना जाएगा कि किसी भी देश के लिए परमाणु हथियार उपयोगी होते जा रहे हैं, फिर भले ही वह आक्रामकता के लिए हो या बचाव के लिए। ऐसा इसलिए, क्‍योंकि रूस के पास परमाणु क्षमता है, जिसका मतलब है कि रूस को हराना इतना आसान नहीं है, कि यूक्रेन के मांगने पर उसे हथियार दिए और रूस को हरा दिया। इसके लिए हमें परमाणु हथियारों का इतिहास समझना होगा। रूस के पास परमाणु हथियार है और कीव के पास उतनी मात्रा में नहीं। अमरीका और उसके यूरोपीय सहयोगी साझेदारों ने 1991 में युक्रेन में छूट गए परमाणु हथियार रूसी संघ को भेजना सुनिश्चित किया था। गौरतलब है कि जब सोवियत संघ का विघटन हुआ था, यूक्रेनियाई प्रांत में 1900 से अधिक सामरिक सोवियत परमाणु हथियार थे, इसी तरह कजाकिस्‍तान बेलारूस में भी 2000 से अधिक। ये हथियार रूसी सेना के कब्‍जे में रहते थे। अगर ये इन्‍हीं देशों में रह जाते तो आज यूक्रेन, कजाकिस्‍तान और बेलारूस क्रमश: विश्‍व के तीसरे, चौथे और छठे सबसे बड़े परमाणु राष्‍ट्र होते। उस समय परमाणु हथियारों का विरोध करने का यूक्रेन का निर्णय उसके लिए सही साबित हुआ। मौजूदा युद्ध का कोई भी परिमाण अगर यूक्रेन की सम्‍प्रभुता को हानि पहुंचाता हैं तो इस बहस को ही बल मिलेगा। कि परमाणु हथियार छोड़कर कीव ने गलती की थी। इससे सबक लेकर अन्‍य देश भी इसका अनुकरण करेंगे। क्षेत्रीय आक्रामकता में रुचि लेने वाले देशों को लगेगा कि परमाणु हथियार एक प्रकार की संपत्ति हैं, जिन्‍हें वे अपने लक्ष्‍यों के लिए रखेंगे। साथ ही अपने स्‍वयं के हथियार होने से वे अमरीका पर निर्भर नहीं रहेंगे। यूक्रेन का समर्थन करने का यह एक बड़ा व्‍यावहारिक कारण हैं। ऐसे देश का समर्थन करना, जिसने विश्‍व शक्तियों के कहने पर हथियार नहीं रखें। गलत होगा और गलत मिसाल पेश करेगा। इसलिए यूक्रेन को समर्थन का वास्‍तविक करण बताना होगा। रूस बार-बार यह दोहरता रहा है     

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