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बंसोड कम्प्यूटर टायपिंग इन्स्टीट्यूट छिन्दवाड़ा म0प्र0 प्रवेश प्रारंभ सीपीसीटी,पीजीडीसीए,डीसीए, की सम्पूर्ण तैयारी करवायी जाती है।
created May 26th, 05:56 by neetu bhannare
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सभापति महोदय, मैं रक्षा मंत्रालय की मॉंगों का समर्थन करने के लिए खड़ा हुआ हूँ। वर्तमान घटनाओं से पता चलता है कि संसार का हर देश अपनी सुरक्षा के बारे में चिंतित है और उसके लिए हर प्रयतन कर रहा है। इस दृष्टि से अन्य देशों की तरह हमारे देश में भी रक्षा मंत्रालय का महत्व है। मुझे इस बात की खुशी है कि जहॉं अन्य मंत्रालयों की उनकी पिछले साल के कामों के बारे में काफी आलोचना हुई है, वहॉं इस मंत्रालय की कम आलोचना हुई है। इससे पता चलता है कि इस मंत्रालय ने पिछले साल अच्छा काम किया है। मोटे तौर पर किसी भी देश की सुरक्षा नीति का लक्ष्य यह होता है कि दूसरे देशों खास तौर से पड़ोसी देशों के साथ मित्रता के संबंध स्थापित हो और हम एक-दूसरे के मामलों में हस्तक्षेप न करें। लेकिन उसके साथ यह भी जरूरी होता है कि हम अपने देश की सीमाओं और अखण्डता की रक्षा करें। इसलिए हमारे देश का कर्त्तव्य हो जाता है कि हम अपने पड़ोसियों की कार्यों पर पूरी नजर रखें। क्योंकि आज तक हमारे देश पर जो संकट आऍं वे हमारे पड़ोसियों से आए हैं। 1965 में पाकिस्तान के साथ जो लड़ाई हुई और उसके बाद तासकन्द में जो समझौता हुआ वह सिर्फ कागज पर ही रहा। पाकिस्तान ने उस पर कोई अमल नहीं किया। इस दृष्टि से बहुत जरूरी है कि हम अपने देश की सुरक्षा की हर तरह से व्यवस्था करें। हमारा उद्देश्य दूसरों पर आक्रमण करना नहीं है लेकिन यदि हम पर कोई आक्रमण करे तो हम में इतनी शक्ति अवश्य होनी चाहिए कि हम उसका डटकर सामना कर सकें। आप जानते हैं कि पिछले दिनों पाकिस्तान को, अमेरिका को चीन से काफी मदद मिली है। रक्षा मंत्रालय की रिपोर्ट में भी कहा गया है कि पिछले साल अमेरिका ने पाकिस्तान को 1500 करोड़ रूपए की फौजी सहायता दी है। आज जहॉं हम फौजी सामानके लिए अपने कारखानों की मदद से अपनी शक्ति बढ़ाने का प्रयत्न कर रहे हैं, वहॉं पाकिस्तान संसार के देशों से फौजी सामान खरीद रहा है। अपनी नीति के कारण वह सब देशों से लाभ उठा रहा है। मेरा सुझाव है कि हम को भी अपनी शक्ति बढ़ाने के लिए संसार के अन्य देशों से अधिक से अधिक फौजी सामान खरीदना चाहिए। आज तिब्बत की सीमा पर चीन की डेढ़ लाख फौज खड़ी है।
