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Hindi Practice Mangal Font
created Nov 24th 2023, 08:13 by SahilSonkar
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हम सभी लालची राजा मिदास की कहानी जानते हैं। उसके पास सोने की कमी नहीं थी, लेकिन सोना जितना बढ़ता वह और अधिक सोना चाहता। उसने सोने को खजाने में जमाकर लिया था और हर रोज उसे गिना करता था। एक दिन जब वह सोना गिन रहा था तो एक अजनबी कहीं से आया और बोला, तुम मुझसे ऐसा कोई वरदान मांग सकते हो जो तुम्हें दुनिया में सबसे ज्यादा खुशी दे। राजा खुश हुआ और उसने कहा मैं चाहता हूँ कि जिस चीज को छुऊँ, वह सोना बन जाए। अजनबी ने राजा से पूछा क्या तुम सचमुच यही चाहते हो ? राजा ने कहा हां, तो अजनबी बोला कल सूरज की पहली किरण के साथ ही तुम्हें किसी चीज को छूकर सोना बना देने की ताकत मिल जाएगी। राजा ने सोचा कि वह सपना देख होगा, यह सच नहीं हो सकता। अगले दिन जब राजा नींद से उठा तो उसने अपना पलंग छुआ और वह सोना बन गया। वह वरदान सच था। राजा ने जिस चीज को छुआ, वह सोना बन गई। उन्होंने खिड़की के बाहर देखा और अपनी नन्हीं बच्ची को खेलते पाया। उसने अपनी बिटिया को यह अजूबा दिखाना चाहा और सोचा कि वह खुश होगी। लेकिन बगीचे में जाने से पहले उसने एक किताब पढ़ने की सोची। उसने जैसे ही उसे छुआ, वह सोने की बन गई। वह किताब को पढ़ न सका। फिर वह नाश्ता करने बैठा, जैसे ही उसने फलों और पानी के गिलास को छुआ, वे भी सोने के बन गए। उसकी भूख बढ़ने लगी और वह खुद से बोला। मैं सोने को खा और पी नहीं सकता। ठीक उसी समय उसकी बेटी दौड़ती हुई वहॉं आई और उसने उसे बॉंहों में भर लिया। वह सोने की मूर्ति बन गई। अब राजा के चेहरे से खुशी गायब हो गई। राजा सर पकड़ कर रोने लगा। वह वरदान देने वाली अजनबी फिर आया और उसने राजा से पूछा कि क्या वह हर चीज को सोना बना देने की अपनी ताकत से खुश है ? राजा ने बताया की वह दुनिया के सबसे दुखी इंसान है। राजा ने उसे सारी बात बताई। अजनबी ने पूछा, अब तुम क्या पसंद करोगे, अपना भोजन और प्यारी बिटिया या सोने के ढेर और बिटिया की सोने की मूर्ति। राजा ने गिड़गिड़ाकर माफी मांगी और कहा, मैं अपना सारा सोना छोड़ दूंगा मेहरबानी कर के मेरी बेटी मुझे लौटा दो क्योंकि उसके बिना मेरी हर चीज मूल्यहीन हो गई है। अजनबी ने राजा से कहा तुम पहले से बुद्धिमान हो गए हो और उसने अपने वरदान को वापिस ले लिया। राजा को अपनी बेटी वापस फिर से मिल गई और उसे एक ऐसी सीख मिली जिसे वह जिंदगी-भर नहीं भुला सका।
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हम सभी लालची राजा मिदास की कहानी जानते हैं। उसके पास सोने की कमी नहीं थी, लेकिन सोना जितना बढ़ता वह और अधिक सोना चाहता। उसने सोने को खजाने में जमाकर लिया था और हर रोज उसे गिना करता था। एक दिन जब वह सोना गिन रहा था तो एक अजनबी कहीं से आया और बोला, तुम मुझसे ऐसा कोई वरदान मांग सकते हो जो तुम्हें दुनिया में सबसे ज्यादा खुशी दे। राजा खुश हुआ और उसने कहा मैं चाहता हूँ कि जिस चीज को छुऊँ, वह सोना बन जाए। अजनबी ने राजा से पूछा क्या तुम सचमुच यही चाहते हो ? राजा ने कहा हां, तो अजनबी बोला कल सूरज की पहली किरण के साथ ही तुम्हें किसी चीज को छूकर सोना बना देने की ताकत मिल जाएगी। राजा ने सोचा कि वह सपना देख होगा, यह सच नहीं हो सकता। अगले दिन जब राजा नींद से उठा तो उसने अपना पलंग छुआ और वह सोना बन गया। वह वरदान सच था। राजा ने जिस चीज को छुआ, वह सोना बन गई। उन्होंने खिड़की के बाहर देखा और अपनी नन्हीं बच्ची को खेलते पाया। उसने अपनी बिटिया को यह अजूबा दिखाना चाहा और सोचा कि वह खुश होगी। लेकिन बगीचे में जाने से पहले उसने एक किताब पढ़ने की सोची। उसने जैसे ही उसे छुआ, वह सोने की बन गई। वह किताब को पढ़ न सका। फिर वह नाश्ता करने बैठा, जैसे ही उसने फलों और पानी के गिलास को छुआ, वे भी सोने के बन गए। उसकी भूख बढ़ने लगी और वह खुद से बोला। मैं सोने को खा और पी नहीं सकता। ठीक उसी समय उसकी बेटी दौड़ती हुई वहॉं आई और उसने उसे बॉंहों में भर लिया। वह सोने की मूर्ति बन गई। अब राजा के चेहरे से खुशी गायब हो गई। राजा सर पकड़ कर रोने लगा। वह वरदान देने वाली अजनबी फिर आया और उसने राजा से पूछा कि क्या वह हर चीज को सोना बना देने की अपनी ताकत से खुश है ? राजा ने बताया की वह दुनिया के सबसे दुखी इंसान है। राजा ने उसे सारी बात बताई। अजनबी ने पूछा, अब तुम क्या पसंद करोगे, अपना भोजन और प्यारी बिटिया या सोने के ढेर और बिटिया की सोने की मूर्ति। राजा ने गिड़गिड़ाकर माफी मांगी और कहा, मैं अपना सारा सोना छोड़ दूंगा मेहरबानी कर के मेरी बेटी मुझे लौटा दो क्योंकि उसके बिना मेरी हर चीज मूल्यहीन हो गई है। अजनबी ने राजा से कहा तुम पहले से बुद्धिमान हो गए हो और उसने अपने वरदान को वापिस ले लिया। राजा को अपनी बेटी वापस फिर से मिल गई और उसे एक ऐसी सीख मिली जिसे वह जिंदगी-भर नहीं भुला सका।
