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बंसोड कम्प्यूटर टायपिंग इन्स्टीट्यूट छिन्दवाड़ा म0प्र0 प्रवेश प्रारंभ (सीपीसीटी, एवं TALLY ) MOB. NO. 8982805777
created Apr 3rd 2024, 05:44 by shilpa ghorke
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				पानी की कमी को पूरा करने और जल को बहने से बचाने के लिये प्राकृतिक संसाधनों और कृत्रिम डिजाइन संसाधनों के जरिये बारिश के पानी को एकत्रित और संग्रहित करना वर्षा जल संचयन है। कई सारे कारणों से जल संचयन की मात्रा प्रभावित होती है जैसे बारिश की प्रायिकता व बारिश की मात्रा तथा बारिश के पानी को एकत्रित करने का तरीका और पानी को एकत्रित करने के लिये संसाधनों का आकार। कई सारी वजहों जैसे वनों की कटाई और पर्यावरण असंतुलन से भौमजल घटता जा रहा है। खासतौर से शहरी क्षेत्रों में लगातार बढते शहरीकरण और उपनिवेशीकरण के कारण जल आपूर्ति की मांग बढ रही है। इसका कारण अधिक भूमिगत जल का प्रयोग है जिससे ये नीचे की ओर जा रहा है। अगर तुरंत कुछ प्रभावशाली कदम नहीं उठाये गये तो आने वाले समय में पानी की कमी का खतरा बडे पैमाने पर बढेगा और ये जीवन के लिये भी खतरा साबित हो सकता है। जल संचयन बहुत ही मददगार है यह कई जरूरतों को पूरा करता है जैसे भूमि जल का पुनर्भरण तथा जल आपूर्ति में खर्च होने वाली बिजली के बिल को घटाना और किसी भी समय सरल जल आपूर्ति सुलभ कराना जब भी इसकी जरूरत होगी। बारिश के पानी का संग्रहण सभी क्षेत्रों के लोगों के लिये बहुत जरूरी है। अलग अलग प्रयोजनों के लिये पानी की मांग को सतह का जल पूरा नहीं कर सकता है। अपनी सभी जरूरतों के लिये भूमि जल पर सभी निर्भर हैं। वनों की कटाई व तेजी से बढता शहरीकरण तथा नीचे की मृदा से बारिश का पानी रिसना आदि के कारण लगातार भौमजल घट रहा है। जल संचयन सडकों पर बाढ का खतरा और मृदा के घिसावट के खतरे को कम करता है। भावी समय में उपयोग के लिये सतह के जल को एकत्रित करना। भूमि जल का पुनर्भरण करना साथ ही जल की विशेषता को सुधारता है। सतह से बारिश के पानी को एकत्रित करना बहुत ही असरदार और पारंपरिक तकनीक है। इसे छोटे तालाबों व भूमिगत टैंकों या डैम अथवा बांध आदि के प्रयोग से किया जा सकता है। हालांकि भौमजल की पुनर्भरण तकनीक संग्रहण का एक नया तरीका है। निजी रूप से बारिश के पानी का संचय कई प्रकार से कर सकते हैं। ये पानी की आपूर्ति व बिल खासतौर से संगठनों के बिलों में कमी लाता है। इसमें कम पीएच और सिर्फ कठोरता होती है जो इसे घरों व कारखानों तथा दूसरे कामधंधों में प्रयोग करने के लायक बनाता है। ये सार्वजनिक जल आपूर्ति स्त्रोतों की चिंता को कम कर सकता है। जमीन में बारिश के पानी के पुनर्भरण से तटीय क्षेत्रों में ताजे पानी के स्त्रोतों में सागरीय जल से बचाता है। शहरी बाढ नियंत्रण में ये मदद करता है अगर लोग छतों से बारिश के पानी को एकत्रित करते हैं। ये नगरपालिका से लोगों की जल की मांग को घटाएगा जिससे पूरे शहर में जल वितरण में भी कम उर्जा खर्च होगी। तमिलनाडु भारत की एकमात्र जगह है जहां बारिश के पानी को एकत्रित करना जरुरी है। तमिलनाडु सरकार ने ये घोषणा कि है कि केरल में कई जगहों पर बारिश के जल को एकत्रित करने के लिये लगभग पचास हजार ढांचों को लगाया है। अब तक तमिलनाडु में लगभग चार हजार मंदिरों में वर्षा जल संग्रहण के लिये टैंक हैं जो जमीन के पानी को पुनर्भरण में भी मदद कर रहे हैं। 
			
			
	        
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