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साँई कम्प्यूटर टायपिंग इंस्टीट्यूट गुलाबरा छिन्दवाड़ा म0प्र0 संचालक:- लकी श्रीवात्री मो0नां. 9098909565
created Apr 30th, 06:44 by lucky shrivatri
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जंगल की आग जब विकराल रूप धारण करती हैं तो आग बुझाने के तमाम मौजूद संसाधन कितने बौने और बेबस नजर आते है, उत्तराखंड के कुमाऊ के जंगलों की आग से फिर साफ हो गया। कुमाऊ के साथ गढ़वाल के जंगलों में चार दिन में 31 जगह लगी आग नैनीताल तक पहुंच गई। इसे काबू में करने के लिए वायुसेना को बुलाना पड़ा।
जैव विविधता के मामले में भारत को दुनिया के सबसे संपन्न देशों में गिना जाता है। हमारे जो राज्य जैव विविधता की दृष्टि से सबसे संपन्न देशों में गिना जाता है। हमारे जो राज्य जैव विविधता की दृष्टि से सबसे समृद्ध हैं, उनमें उत्तराखंड के साथ मध्य प्रदेश, हिमाचल प्रदेश
गुजरात, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र ओडिशा, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना शामिल है। इस सभी राज्यों के बड़े भूभाग में जंगल है। सभी जंगलों में आग की घटनाएं सामने आती रहती है। ऐसी ज्यादातर घटनाएं अप्रैल से जून के दौरान होती है, जब तापमान ज्यादा रहता है। जंगलों की आग सिर्फ पेड़ो को ही राख नहीं करती, प्रकृति की लय बदल देती है। वन्य जीवों और जंगलों के आसपास रहने वालों को विस्थापित होना पड़ता है। सबसे बड़ा नुकसान पर्यावरण को झेलना पड़ता है। मिट्टी की नमी घट जाती है। आग का धुआं वातावरण में कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा कई गुना बढ़ा देता है। हवा में शुद्ध ऑक्सीजन की गणित गड़बडा जाती है। दुनियाा पहले से ग्लोबल वार्मिग की आग में झुलस रही है। जंगलों की आग उसमें घी डाल देती है। जंगलों की आग वैश्विक चिंता का विषय है।
भारत के जंगलों में आग लगने के कई कारण है। पतझड़ के बाद जंगलों की जमीन पर सूखी लकडि़यो, घास खरपतवार और पत्तो का ढेर बढता जाता है। अप्रैल-मई का ज्यादा तापमान इनके लिए माचिस का काम करता है। अमरीका में जंगलों की आग से बचने की नई नीति जंगलों की नियमित सफाई को अनिवार्य कर दियाा है। वह दमकल वाले सूखी लकडियों और खरपतवार का जमा कर जला देते है। इसी नीति भारत के जंगलों के लिए भी बनाई जानी चाहिए। हमारे वैज्ञानिकों को जंगलों की आग बुझाने आधुनिक यंत्र विकसित करने पर भी ध्यान देना चाहिए।
जैव विविधता के मामले में भारत को दुनिया के सबसे संपन्न देशों में गिना जाता है। हमारे जो राज्य जैव विविधता की दृष्टि से सबसे संपन्न देशों में गिना जाता है। हमारे जो राज्य जैव विविधता की दृष्टि से सबसे समृद्ध हैं, उनमें उत्तराखंड के साथ मध्य प्रदेश, हिमाचल प्रदेश
गुजरात, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र ओडिशा, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना शामिल है। इस सभी राज्यों के बड़े भूभाग में जंगल है। सभी जंगलों में आग की घटनाएं सामने आती रहती है। ऐसी ज्यादातर घटनाएं अप्रैल से जून के दौरान होती है, जब तापमान ज्यादा रहता है। जंगलों की आग सिर्फ पेड़ो को ही राख नहीं करती, प्रकृति की लय बदल देती है। वन्य जीवों और जंगलों के आसपास रहने वालों को विस्थापित होना पड़ता है। सबसे बड़ा नुकसान पर्यावरण को झेलना पड़ता है। मिट्टी की नमी घट जाती है। आग का धुआं वातावरण में कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा कई गुना बढ़ा देता है। हवा में शुद्ध ऑक्सीजन की गणित गड़बडा जाती है। दुनियाा पहले से ग्लोबल वार्मिग की आग में झुलस रही है। जंगलों की आग उसमें घी डाल देती है। जंगलों की आग वैश्विक चिंता का विषय है।
भारत के जंगलों में आग लगने के कई कारण है। पतझड़ के बाद जंगलों की जमीन पर सूखी लकडि़यो, घास खरपतवार और पत्तो का ढेर बढता जाता है। अप्रैल-मई का ज्यादा तापमान इनके लिए माचिस का काम करता है। अमरीका में जंगलों की आग से बचने की नई नीति जंगलों की नियमित सफाई को अनिवार्य कर दियाा है। वह दमकल वाले सूखी लकडियों और खरपतवार का जमा कर जला देते है। इसी नीति भारत के जंगलों के लिए भी बनाई जानी चाहिए। हमारे वैज्ञानिकों को जंगलों की आग बुझाने आधुनिक यंत्र विकसित करने पर भी ध्यान देना चाहिए।
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