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JR CPCT INSTITUTE, TIKAMGARH (M.P.) || ✤ MPHC-Junior Judicial Assistant 2024 Mock Test Hindi- 02 ✤ ||
created Oct 10th 2024, 12:55 by JRINSTITUTECPCT
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आवेदकगण द्वारा अनावेदक के विरुद्ध यह याचिका धारा 10 सहपठित धारा 25 प्रतिपाल्य एवं संरक्षण अधिनियम, 1890 के तहत एवं धारा 08 हिन्दू अप्राप्तवय एवं संरक्षकता अधिनियम, 1956 के अंतर्गत प्रस्तुत की गयी है। आवेदक की ओर से प्रस्तुत आवेदन-पत्र संक्षेप में इस प्रकार है उनके निधन के उपरांत आवेदकगण उनकी संपत्ति के विधिक वारसन होने की हैसियत से मालिक स्वामी हुये। आवेदिका क्रमांक 01 आवेदिका क्रमांक 02 के उज्जवल भविष्य के लिए एवं उसकी उच्च शिक्षा के अंतर्गत वादग्रस्त भूमि का विक्रय अपनी आर्थिक परिस्थितियों की वजह से विक्रय करना चाही है, पर उप-पंजीयक कार्यालय में विक्रय-पत्र कराने के लिए आवेदिका क्रमांक 02 की तरफ से अनुमति का प्रावधान था, जिसके लिये आवेदिका ने कई प्रयास राजस्व न्यायालय में किये पर राजस्व न्यायालय, न्यायालय में प्रकरण प्रस्तुत करने हेतु कहा गया इस तरह लगातार आवेदिका क्रमांक 01 अपने दायित्वों का निर्वाह कर रही है। इस आदेश द्वारा अभियुक्त की ओर से प्रस्तुत आवेदन अंतर्गत धारा 91 का निराकरण किया जा रहा है। अभियोजन द्वारा अभियुक्त के विरुद्ध आय से अधिक संपत्ति का आरोप लगाते हुए धारा 13(1) भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 के अंतर्गत अभियोग पत्र प्रस्तुत किया गया है। अभियुक्त के ठेकेदार के रूप में कार्य करने के दौरान उसकी आय का आंकलित की गई है, अभियुक्त के द्वारा अधिवक्ता की ओर से अभियुक्त की आय को प्रमाणित किये जाने हेतु आयकर रिटर्न, वेतन विवरण, बचत खाता से संबंधित एफडीआर से दस्तावेजों के मूल रिकार्ड संबंधित विभाग के तलब किये जाने की प्रार्थना की है। विद्वान अधिवक्ता ने जिन दस्तावेजों की तलब किये जाने की प्रार्थना की है तो धारा 91 दं.प्र.सं. में यह प्रावधान किया गया है। जब कभी कोई न्यायालय या पुलिस थाने का कोई भारसाधक अधिकारी यह समझता है कि किसे ऐसे अन्वेषण, जांच, विचारण या अन्य कार्यवाही के प्रयोजनों के लिए, जो इस संहिता के अधीन ऐसे न्यायालय या अधिकारी के द्वारा या समक्ष हो रही है।
