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BUDDHA ACADEMY TIKAMGARH (MP) || ☺ || ༺•|✤ सभी प्रतियोगी टाईपिंग परीक्षाओं की ओर ✤|•༻

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लोगों के स्‍वास्‍थ्‍य की सुरक्षित व्‍यवस्‍था करने, किसानों के लिए सुनिश्चित आजीविका उपलब्‍ध कराने और वैश्विक मंडियों में भारत की साख बरकरार रखने के लिए खाद्य सुरक्षा अब केवल वैकल्पिक संसाधन नहीं रहा है, बल्कि अनिवार्य घटक बन चुका है। समन्वित नीति सुधार लाकर, टेक्‍नोलॉजी का उपयोग करके और सार्वजनिक शिक्षा व्‍यवस्‍था लागू करके भारत में लचीली और भरोसेमंद खाद्य प्रणाली का निर्माण किया जा सकता है।
    भारतीय कृषि में खाद्य सुरक्षा अहम तो है पर अक्‍सर खेतों में फसल उगाने से लेकर अनाज के भोजन की थाली में पहुंचने तक इस मुद्दे की अनदेखी ही होती है जिससे अनाज या तो सड़ जाता है या बर्बाद हो जाता है। भारत में बड़ी मात्रा में रासायनिक उर्वरकों पर निर्भरता के कारण अनाज में हानिकारक रासायनिक तत्‍व बचे रह जाते हैं और फसल कटाई के बाद की सार-संभाल की खामियों से उसमें फंगस लग जाता है और अपर्याप्‍त भंडारण सुविधाओं और लाने-ले जाने की समुचित व्‍यवस्‍था होने से भी फसल खराब होकर सड़ जाती है। यहां तक कि दूध, मसाले तथा तेलों में हानिकारक पदार्थों की भारी मिलावट होने से ये आवश्‍यक खाद्य पदार्थ लोगों की सेहत से खिलवाड़ की वजह बन जाते हैं। इन चुनौतियों की असल वजह सप्‍लाई-चेन में भारी अव्‍यवस्‍था, आर्थिक तंगी के कारण छोटे किसानों का सुरक्षित तरीके अपना पाना तथा खाद्य सुरक्षा कानूनों को लागू करने में ढिलाई भी हैं। इनके भयंकर परिणामों में अनाज के (बुद्ध अकादमी टीकमगढ़) इस्‍तेमाल से होने वाली बीमारियां, अंतरराष्‍ट्रीय सुरक्षा मानकों का सही पालन करने के कारण निर्यात अस्‍वीकार होकर वापस आने और जहरीले पदार्थों के लगातार प्रयोग से कैंसर जैसी घातक आपदाओं का सामना करना शामिल है। खाद्य सुरक्षा का मतलब है कि अनाज की सार-संभाल, प्रोसेसिंग, भंडारण और वितरण की ऐसी वैज्ञानिक और नियामक व्‍यवस्‍था होना जिससे अनाज को सड़ने से बचाने और ऐसे अनाज के उपभोग से होने वाले रोगों से बचाव हो।

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