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साँई कम्प्यूटर टायपिंग इंस्टीट्यूट गुलाबरा छिन्दवाड़ा (म0प्र0) संचालक:- लकी श्रीवात्री मो0नां. 9098909565
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एक बार स्वामी विवेकानंद अमरीका में एक व्याख्यान के पश्चात श्रोताओं से मिल रहे थे। एक युवक ने उनसे प्रश्न किया, स्वामाजी, यदि ईश्वर दयालु हैं, तो जीवन में इतनी कठिनाइयां क्यों आती है? वे क्यों हमें दुख से नहीं बचाते। स्वामीजी मुस्कुराए और एक छोटी सी कथा सुनाई एक व्यक्ति ने देखा कि एक तितली अपने कोकून से बाहर आने के लिए बहुत प्रयास कर रही थी। उसे देखकर दया आई और उसने कोकून को थोड़ा चीर दिया, ताकि तितली आसानी से बाहर निकल सके। परंतु तितली का शरीर फूला हुआ रहा और उसके पंख कभी विकासित नहीं हो पाए। वह कभी उड़ नहीं सकी। वह संघर्ष, जो कठिन प्रतीत हो रहा था, वास्तव में उसके पंखों को बल देने की प्रक्रिया थी। फिर स्वामीजी बोले, जीवन की कठिनाइयां उसी प्रकार तुम्हारे भीतर के सामर्थ्य को जाग्रत करने आती है। बिना संघर्ष के आत्मा मजबूत नहीं होती, चरित्र नहीं बनता और न ही मनुष्य अपने सर्वोच्च लक्ष्य तक पहुंच सकता है। संघर्ष ही आत्मोन्नति की सीढ़ी है।
