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साँई कम्‍प्‍यूटर टायपिंग इंस्‍टीट्यूट गुलाबरा छिन्‍दवाड़ा (म0प्र0) संचालक:- लकी श्रीवात्री मो0नां. 9098909565

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अंतरिक्ष मिशन से लौटे भारतीय यात्री ग्रुप कैप्‍टन शुभांशु ने अपनी पत्‍नी बेटे से मिलने के बाद जो भाव व्‍यक्‍त किए, वे दिल को छूने वाले है। शुभांशु ने इस मुलाकात के बाद लिखा कि आज ही किसी प्रियजन को बताएं कि आप उनसे कितना प्‍यार करते है। आज की भागदौड़ वाली जिंदगी में खुद के लिए भी वक्‍त नहीं निकाल पाने वाले इंसान के लिए पंक्तियां काफी अहमियत रखती है। यह इसलिए भी कि जीवन की भागदौड़ में हमें अपने प्रियजन को यह कहने की भी फुर्सत नहीं मिलती कि वे उसे कितना चाहते है? चाहत का य‍ि रिश्‍ता पति-पत्‍नी, माता-पिता,  भाई-बहन तमाम दूसरे निकट संबंधियों मित्रजनों से रहता है। ऐसे रिश्‍तों की गहराई समझने के साथ-साथ यह अहसास होना भी जरूरी होता है कि कोई भी रिश्‍ता किसी के लिए कितना अहम हो सकता है।  
अंतरिक्ष की अपनी उड़ान को अद्भुत बताते हुए शुभांशु ने यह भी कहा कि लंबे वक्‍त के बाद अपनों से मिलना भी उतना ही अद्भुत होता है। हम व्‍यस्‍तता में भूल जाते हैं कि जीवन में लोग कितने महत्‍वपूर्ण है। हकीकत यह भी है कि अधिक कमाने की होड़ में इंसान खुद मशीनी होता जा रहा है। रिश्‍ता की पहचान उनका सम्‍मान उसकी नजर में कम होता जा रहा है। जबकि सत्‍य तो यह है कि सामाजिक जीवन पारिवारिक माहौल में सरसता तब ही सकती है जब अपने दिल के नजदीक समझे जाने वाले रिश्‍तों में मजबूती और भरोसा दोनों हो। अपनों को आप कितना चाहते हैं यह अहसास उनको भी होना चाहिए जिनको आप चाहते हैं। लेकिन घर-परिवारों में भी एकाकी जीवन और संवादहीनता का जब माहौल बनता है तो तो पिता-पुत्र और ही भाई बहन सरीखें रिश्‍तों से यह आभास होता है कि कोई भी एक दूसरें को किस हद तक प्‍यार करते है? कहने को तमाम रिश्‍ते कीमती होते है लेकिन इनकी कीमत को नजरंदाज नहीं करना चाहिए।  
स्‍वाभाविक रूप से किसी रिश्‍ते की कीमत उस वक्‍त ज्‍यादा महसूस होती है जब काई अपना हमसे दूर हो जाता है। कहने को प्‍यार भले ही अहसास का विषय हो लेकिन उसका इजहार ही संबंधों को मजबूती प्रदान करता है। समाज में पारिवारिक मूल्‍य जिस तरह से खत्‍म होते जा रहे है  उसकी बड़ी वजह रिश्‍तों की प्रगाढ़ता का एक दूसरे से जिक्र करना भी है। इसलिए भले ही प्‍यार को इजहार से ज्‍यादा अहसास का विषय कहा जा रहा हो लेकिन सच यह भी हैकि प्‍यार का अहसास भी इजहार करने पर ही होता है। ऐसे दौर में जब स्‍वार्थ आधिरित रिश्‍ते बनने लगे है, परिवार और प्रयजनों की अहमियत का सदैव ध्‍यान रखना होगा।  

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