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BUDDHA ACADEMY TIKAMGARH (MP) || ☺ || ༺•|✤ आपकी सफलता हमारा ध्‍येय ✤|•༻

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जब कोई ऐसा व्‍यक्ति जो जमानतीय/अजमानतीय अपराध का अभियुक्‍त है और दृश्‍यमान रूप में किशोर है, निरूद्ध किया जाता है अथवा किशोर न्‍यायालय के समक्ष उपसंजात होता या लाया जाता है तब दंड प्रक्रिया संहिता 1973 में या तत्‍समय प्रवृत्‍त किसी अन्‍य विधि में किसी बात के होते हुए भी उस व्‍यक्ति को प्रतिभु सहित या रहित जमानत पर छोड़ दिया जाएगा, किन्‍तु इस प्रकार उसे तब नहीं छोड़ा जाएगा जब वह विश्‍वास करने के युक्तियुक्‍त आधार प्रतीत होते हैं कि उसके ऐसे छोडे जाने से संभाव्‍य है कि उसका संग किसी ज्ञात अपराधी से होगा या वह नैतिक खतरे के लिए उच्‍छन्‍न होगा या उसके छोड़े जाने से न्‍याय के उद्देश्‍य विफल होंगे। जब ऐसे व्‍यक्ति किशोर न्‍यायालय द्वारा उपधारा (1) के अधीन जमानत पर नहीं छोड़ा जाता है तब वह जेल के सुपुर्द करने के बजाय उसके बारे में जार्च के लम्बित रहने के दौरान ऐसे कालावधि के लिए जो उस आदेश में विनिर्दिष्‍ट की जाए, उसे संप्रेक्षण-गृह या किसी सुरक्षित स्‍थान में भेजने के लिए आदेश करेगा। (ख) परिवीक्षा अधिकारी को ऐसी गिरफ्तारी की इत्तिला देगा जिससे कि वह किशोर के पूर्ववृत्‍त और कौटुम्बिक इतिहास के बारे में तथा अन्‍य ऐसी तात्विक परिस्थितियों के बारे में जानकारी अभिप्राप्‍त कर सके जिनके बारे में यह संभाव्‍य है कि वे जांच करने में किशोर-न्‍यायालय के लिए सहायक होंगी।
     जहां अपराध से आरोपित किशोर किशोर-न्‍यायालय के समक्ष उपसंजात होता है या पेश किया जाता है वह किशोर-न्‍यायालय धारा 39 के उपबंधों के अनुसार जांच करेगा और इस अधिनियम के उपबंधों के अध्‍यधीन रहते हुए वह किशोर के संबंध में ऐसा आदेश कर सकेगा जो वह ठीक समझे; किशोर को सदाचरण की परिवीक्षा पर छोड़ने और किशोर को सदाचार और उसकी भलाई के लिए किसी योग्‍य संस्‍था की देखरेख में रखने का निर्देश, तीन वर्ष से अनधिक कालावधि के लिए कर सकेगा।

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