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साँई कम्‍प्‍यूटर टायपिंग इंस्‍टीट्यूट गुलाबरा छिन्‍दवाड़ा (म0प्र0) संचालक:- लकी श्रीवात्री मो0नां. 9098909565

created Yesterday, 09:44 by lovelesh shrivatri


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हर साल 15 अगस्‍त को देश के कोने-कोने में तिरंगा लहराता है, स्‍कूलों से लेकर लाल किले तक आजादी का जश्‍न मनाया जाता है। गीत, भाषण और झंडारोहण ये सब मिलकर हमें याद दिलाते हैं कि हम एक स्‍वंतत्र राष्‍ट्र के नागरिक हैं और हजारों लोगों ने अपना सबकुछ न्‍योछावर कर यह आजादी हासिल की है। लेकिन आजादी को सिर्फ एक दिन का समारोह नहीं समझा जाना चाहिए। यह दिन आजादी को बचाए रखने के लिए अपनी जिम्‍मेदारियों के अहसास का भी दिन है और यह संकल्‍प लेने का भी कि दिनचर्या में ऐसा काम करें जिससे फिर से किसी तरह की गुलामी शिकंजे में फंस जाएं।  
प्रगति अक्‍सर नए-नए खतरों को जन्‍म देती है, यदि समय रहते उपयुक्‍त कदम  उठाए गए तो गुलामी के नए दौर में प्रवेश करने में देर नहीं लगेगी। ठीक वैसे ही जैसे औद्यागिक क्रांति ने ब्रिटेन फ्रांस जैसे देशों केवल तकनीकी और आर्थिक रूप से सक्षम बनाया बल्कि भारत जैसे संसाधन संपन्‍न देशों को गुलाम बनाने के लिए ताकत भी प्रदान की। आज हम प्रौद्यागिकी के युग में है और इस युग का सबसे बड़ा खतरा है डिजिटल गुलामी। इसमें कोई शक नहीं कि आइटी हमारी अर्थव्‍यवस्‍था, शिक्षा स्‍वास्‍थ्‍य, शासन और सामाजिक जीवन का अहम आधार बन चुकी है। औद्योगिक क्रांति ने 21 वीं सदी के भारत को गति और वैश्विक पहचान दी है। किसान अब मीडियां के भाव मोबाइल पर देख सकता है। छात्र घर बैठे दुनिया के सर्वश्रेष्‍ठ शिक्षक से ऑनलाइन पढ़ सकता है। मरीज दूरस्‍थ विशेषज्ञ से वीडियो कॉल पर इलाज ले सकता है। डिजिटल इंडिया जैसी पहलों ने नागरिक सेवाओं को घर-घर पहुंचाया है। इस दृष्टि से सूचना प्रौद्यागिकी आधुनिक भारत की स्‍वतंत्रता का एक नया आयाम है। जहां नागरिक को उसकी जरूरी जरूरतें तुरंत और सीधे पूरी होती है।  
हर रोशनी के साथ एक छाया भी होती है। तकनीकि ने जितना हमें जोड़ा है, उतना ही हमें अपने घेरे में बांध लिया है। सोशल मीडिया की अति, गेमिग की लत, फेक न्‍यूज का प्रसार और डेटा गोपनीयता का संकट ये सब डिजिटल की गुलामी के रूप है।  

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