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उस रात, रवि अपने दोस्तों के साथ जंगल के बीच बनी एक पुरानी हवेली में गया। वे सब साहस दिखाने के लिए वहां इकट्ठा हुए थे, लेकिन जैसे ही उन्होनें हवेली के अंदर कदम रखा, एक अजीब सी खामोशी छा गई। हवा में ठंडक थी और धूल भरी दीवारों पर अजीबोगरीब परछाइयां नाच रही थीं।
अचानक, एक दरवाजा खुद-ब-खुद खुल गया। अंदर एक पुराना झूला था जो धीरे-धीरे हिल रहा था, मानो कोई अदृश्य बच्चा उस पर बैठा हो। रवि के दोस्त डरकर पीछे हटने लगे। तभी, हवेली के ऊपरी माले से एक धीमी, डरावनी हँसी की आवाज़ आई। वह हँसी इतनी भयावह थी कि सब कांप उठे।
रवि ने अपने फोन की टॉर्च ऑन की और देखा कि सामने एक दीवार पर खरोंचों के निशान थे, जैसे किसी ने नाखूनों से बनाए हों। उन निशानों के पास एक पुरानी तस्वीर टंगी थी जिसमें एक छोटी बच्ची उदास खड़ी थी। तभी, हवेली की खिड़कियां जोर से बंद हो गईं और रवि ने महसूस किया कि कोई अदृश्य शक्ति उसके कंधे पर हाथ रख रही है। उन्होंने बिना कुछ सोचे-समझे भागना शुरू किया और पीछे मुड़कर कभी नहीं देखा। आज भी, उस हवेली का नाम सुनते ही उनके रोंगटे खड़े हो जाते हैं।
अचानक, एक दरवाजा खुद-ब-खुद खुल गया। अंदर एक पुराना झूला था जो धीरे-धीरे हिल रहा था, मानो कोई अदृश्य बच्चा उस पर बैठा हो। रवि के दोस्त डरकर पीछे हटने लगे। तभी, हवेली के ऊपरी माले से एक धीमी, डरावनी हँसी की आवाज़ आई। वह हँसी इतनी भयावह थी कि सब कांप उठे।
रवि ने अपने फोन की टॉर्च ऑन की और देखा कि सामने एक दीवार पर खरोंचों के निशान थे, जैसे किसी ने नाखूनों से बनाए हों। उन निशानों के पास एक पुरानी तस्वीर टंगी थी जिसमें एक छोटी बच्ची उदास खड़ी थी। तभी, हवेली की खिड़कियां जोर से बंद हो गईं और रवि ने महसूस किया कि कोई अदृश्य शक्ति उसके कंधे पर हाथ रख रही है। उन्होंने बिना कुछ सोचे-समझे भागना शुरू किया और पीछे मुड़कर कभी नहीं देखा। आज भी, उस हवेली का नाम सुनते ही उनके रोंगटे खड़े हो जाते हैं।
