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साँई कम्प्यूटर टायपिंग इंस्टीट्यूट गुलाबरा छिन्दवाड़ा (म0प्र0) संचालक:- लकी श्रीवात्री मो0नां. 9098909565
created Today, 10:12 by lovelesh shrivatri
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हम अपना वक्त आलस्य और निरर्थक कामों में खर्च न करें। आलस्य दुनिया की सबसे भयंकर बीमारी है। आलस्य समस्त रोगों का मूल है। उसे साक्षात मृत्यु कहें तो इसमें अत्युक्ति न होगी। अन्य बीमारियों की तुलना में यह तो शरीर सारे मनुष्य जीवन को ही खा डालता है। आलस्य से मनुष्य की क्रिया शक्ति कुण्ठित होने लगती है जिससे न केवल उसका शरीर शिथिल हो जाता है वरन उसके आर्थिक आय के साधन भी शिथिल हो जाते हैं। हमारी जीवन व्यवस्था के लिए समय रूपी बहुमूल्य उपहार परमात्मा ने दिया। इसका एक एक क्षण एक एक मोती के समान कीमती है जो इनका सदुपयोग करता है वह यहां सुख प्राप्त करता है, गंवाने वाले व्यक्ति के लिए वक्त ही मृत्यु है। वक्त के दुरूपयोग से जीवनी शक्ति का दुरूपयोग होता है और मनुष्य जल्दी ही काल के गाल मे समा जाता है। इसलिये समय का उपयोग सदैव सुन्दर कामों में करें और इस स्वर्ग तुल्य संसार में सौ वर्ष तक सुखपूर्वक जियें। सारांश यह है कि वक्त का विभाजन करते वक्त आप स्वास्थ्य की बात को भी ध्यान में रखिये और उसके प्रति बेपरवाह मत हो जाइये। आप चाहें तो वक्त के सदुपयोग और व्यवस्थित कार्य प्रणाली द्वारा स्वयं ही स्वस्थ बने रह सकते हैं, कामों में इनका दुरूपयोग करके उसे आलस्य में भी खो सकते हैं, पर याद रखिये इस बात का ध्यान जितनी देर बाद में आयेगा अपने आपको उतना ही गयाबीता अनुभव करेंगे। यही बात उपार्जन के बारे में भी लागू होती है। शुभ और सुखी जीवन के लिये धन बहुत आवश्यक है। आर्थिक विषमता होनेे से दूसरे दैनिक काम भी कठिनाई से चल पाते हैं इसलिये धनोपार्जन के लिये भी समय का उपयोग कीजिये। समय के गर्भ में लक्ष्मी का अक्षय भण्डार भरा हुआ है पर उसे पाते वही हैंं जो उसका सदुपयोग करते हैं। आपको जितना समय कार्यालय में काम करने होता है उतने से ही सन्तोष नहीं हो जाना चाहिये। अपने लिए कोई अन्य रूचिकर काम चुनकर अतिरिक्त आयअर्जन का प्रयत्न होना चाहिये। जापान के नागरिक ऐसा ही करते हैं। वे छोटी मशीनों या खिलौनों के पार्ट लाकर रख लेते हैं और अपने व्यावसायिक काम से फुरसत मिलने पर नियमित रूप से कुछ वक्त उसमें भी लगाते हैं। इस तरह वे अपनी बंधी आय के लगभग बराबर आय पार्ट टाइम में कर लेते हैं। उनकी खुशहाली को एक प्रमुख कारण वक्त का समुचित सदुपयोग ही कहा जा सकता है। वैयक्तिक सुखोपभोग और सांसारिक कामों में क्षमतावान होने के लिये आपका स्वस्थ रहना बहुत जरूरी है। स्वास्थ्य सुखी जीवन की प्रमुख शर्त है, अत: उन सभी नियमों को प्राथमिकता दीजिये जिनसे आपका शरीर और मन स्वस्थ रहता है। हमेशा सूर्योदय से कम से कम एक घण्टा पहले उठा कीजिये और शौच, स्नान आदि से निवृत्त होकर कुछ टहलने या व्यायाम आदि की व्यवस्था बना लीजिये। शरीर को शक्ति और पोषण प्रदान करने वाली प्रात: काल की मुक्त वायु और रश्मियों से देह दिनभर स्फूर्ति और ताजगी से भी रहती है। इस अवसर को गंवाना रोग और दुर्बलता को निमन्त्रण देने से कम नहीं इससे शरीर सुस्त और निस्तेज हो जाता है। वे कोई काम आधी रूचि से करते हैं तदनुकूल सफलता भी आधी ही मिलती है।
