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साँई कम्प्यूटर टायपिंग इंस्टीट्यूट गुलाबरा छिन्दवाड़ा (म0प्र0) संचालक:- लकी श्रीवात्री मो0नां. 9098909565
created Sep 22nd, 12:32 by rajni shrivatri
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बेटिया बोझ नहीं शक्ति का स्वरूप है। मां शैलपुत्री हमें सिखाती हैं कि स्त्री संकल्प और संघर्ष का भी प्रतीक है। आज आवश्यकता है कि हम बेटियों को समान अवसर दें, शिक्षा खेल, विज्ञान रक्षा या नेतृत्व हर क्षेत्र में वो परचम लहरा सकती है।
शिक्षा से ही शक्ति आती है। ब्रह्माचारिणी मां यह दर्शाती हैं कि वास्तविक शक्ति का मूल शिक्षा में है। खासकर बालिकाओं को शिक्षा देना समाज की सबसे बड़ी सेवा है। शिक्षित नारी न केवल अपने लिए बल्कि पूरे समाज के लिए प्रकाश बन जाती है।
आत्मरक्षा और सयम दोनों जरूरी है। मां चंद्रघंटा की तरह हर स्त्री में वह क्षमता है कि वह दुर्गा भी बन सकती है ओर करूणा की मूर्ति भी। समाज को चाहिए कि महिलाओं को आत्मरक्षा का प्रशिक्षण दें।
हर महिला एक सृजनकर्ता है। मां कूष्मांडा वह शक्ति है जिन्होंने ब्रह्मांड की रचना की। आज भी हर स्त्री अपने घर समाज और राष्ट्र के निर्माण में सहभागी है, वह मां है, शिक्षक है, चिकित्सक है, रचनाकार है।
मां सिर्फ जन्म नहीं देती, समाज का निर्माण करती है। मां स्कंदमाता हमें मातृत्व की गरिमा और जिम्मेदारी का बोध कराती है। आज जब परिवारों में माताओं की भूमिका को सीमित किया जा रहा है, तो यह याद दिलाने की जरूरतहै कि मां के सान्नि ध्य में संस्कारित पीढि़या बनती है।
अन्याय के खिलाफ आवाज उठाना ही सच्ची भक्ति है। मां कात्यायनी के रूप से हमें सीखना चाहिए कि मौन रहना कभी-कभी अन्याय को बढ़ावा देना होता है इसलिए उसके खिलाफ खड़ा होना जरूरी है।
कुरीतियों और अंधविश्वास का अंत जरूरी है। मां कालरात्रि हमें यह सिखाती हैं कि डर अंधविश्वास और सामाजिक बुराइयां हमारे आत्मविकास में बाधक है इनको समाप्त करना आज की सबसे बड़ी पूजा है। मां महागौरी हमें सिखाती हैं कि शुद्धता केवल शरीर की नहीं, मन और विचारों की भी होती है। स्वच्छता, पर्यावरण सुरक्षा और मानसिक पवित्रता यही आज के समय की आवश्यकता है। इसलिए आवश्यक है कि हम इसे अपने आचरण में उतारें और अपने जीवन को सार्थक करते हुए अपना उत्तदायित्व निभाएं ।
ज्ञान ही सबसे बड़ी सिद्धी है। मां सिद्धिदात्री हमें प्रेरित करती हैं कि सच्चा वरदान धन और बल नहीं बल्कि ज्ञान ओर विवेक है। आज के दौर में समाज को विज्ञान, शोध, नवाचार और तार्किक सोच को महत्व देना ही होगा।
शिक्षा से ही शक्ति आती है। ब्रह्माचारिणी मां यह दर्शाती हैं कि वास्तविक शक्ति का मूल शिक्षा में है। खासकर बालिकाओं को शिक्षा देना समाज की सबसे बड़ी सेवा है। शिक्षित नारी न केवल अपने लिए बल्कि पूरे समाज के लिए प्रकाश बन जाती है।
आत्मरक्षा और सयम दोनों जरूरी है। मां चंद्रघंटा की तरह हर स्त्री में वह क्षमता है कि वह दुर्गा भी बन सकती है ओर करूणा की मूर्ति भी। समाज को चाहिए कि महिलाओं को आत्मरक्षा का प्रशिक्षण दें।
हर महिला एक सृजनकर्ता है। मां कूष्मांडा वह शक्ति है जिन्होंने ब्रह्मांड की रचना की। आज भी हर स्त्री अपने घर समाज और राष्ट्र के निर्माण में सहभागी है, वह मां है, शिक्षक है, चिकित्सक है, रचनाकार है।
मां सिर्फ जन्म नहीं देती, समाज का निर्माण करती है। मां स्कंदमाता हमें मातृत्व की गरिमा और जिम्मेदारी का बोध कराती है। आज जब परिवारों में माताओं की भूमिका को सीमित किया जा रहा है, तो यह याद दिलाने की जरूरतहै कि मां के सान्नि ध्य में संस्कारित पीढि़या बनती है।
अन्याय के खिलाफ आवाज उठाना ही सच्ची भक्ति है। मां कात्यायनी के रूप से हमें सीखना चाहिए कि मौन रहना कभी-कभी अन्याय को बढ़ावा देना होता है इसलिए उसके खिलाफ खड़ा होना जरूरी है।
कुरीतियों और अंधविश्वास का अंत जरूरी है। मां कालरात्रि हमें यह सिखाती हैं कि डर अंधविश्वास और सामाजिक बुराइयां हमारे आत्मविकास में बाधक है इनको समाप्त करना आज की सबसे बड़ी पूजा है। मां महागौरी हमें सिखाती हैं कि शुद्धता केवल शरीर की नहीं, मन और विचारों की भी होती है। स्वच्छता, पर्यावरण सुरक्षा और मानसिक पवित्रता यही आज के समय की आवश्यकता है। इसलिए आवश्यक है कि हम इसे अपने आचरण में उतारें और अपने जीवन को सार्थक करते हुए अपना उत्तदायित्व निभाएं ।
ज्ञान ही सबसे बड़ी सिद्धी है। मां सिद्धिदात्री हमें प्रेरित करती हैं कि सच्चा वरदान धन और बल नहीं बल्कि ज्ञान ओर विवेक है। आज के दौर में समाज को विज्ञान, शोध, नवाचार और तार्किक सोच को महत्व देना ही होगा।
