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साँई कम्‍प्‍यूटर टायपिंग इंस्‍टीट्यूट गुलाबरा छिन्‍दवाड़ा (म0प्र0) संचालक:- लकी श्रीवात्री मो0नां. 9098909565

created Sep 30th, 11:21 by rajni shrivatri


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एक समय की बात है, एक बार एक घने जंगल में एक खूंखार बाघ रहता था, जिसे जानवरों को मारने में खुशी मिलती थी, भले ही वह भूखा हो। सभी पक्षी और जानवर उससे डरते थे और उससे बचने का प्रयास करते थे। एक दिन बाघ ने एक जानवर को मार डाला, और उसे खाने के दौरान, उसके गले में एक छोटी हड्डी फंस गई। बाघ बहुत दर्द में था। उसने रोना शुरू कर दिया और जंगल में प्रत्‍येक पक्षी और जानवरो से हड्डी निकालने का अनुरोध किया। लेकिन कोई भी उसकी मदद करने नही आया। अंत में उसने जो भी उसकी मदद करेगा उसके लिए इनाम की घोषणा की। फिर भी कोई उसके पास आने की हिम्‍मत नहीं करता क्‍योंकि कोई भी उस पर भरोसा नहीं करता था। वे जानते थे कि जैसे ही हड्डी बाहर निकाल जाएगी, वैसे की खूंखार बाघ सहायक को मार देगा।  
बाघ खुद को दुखी महसूस कर रहा था और मदद के लिए अनुरोध कर रहा था। आखिरकार, बाघ की दुखी स्थिति को देखकर, एक दयालु सारस ने उस पर दया की और कहा, देखो, आपकी प्रतिष्‍ठा खराब है। कोई भी आप पर भरोसा नहीं करता है। लेकिन अगर आप मुझे इनाम देने का वादा करें और यह वादा करें कि आपकी हड्डी निकालने के बाद आप मुझे मारोगे नहीं, तो मैं आपकी मदद करने के लिए तैयार हूं। बाघ ने कहा मैं दयालु दोस्‍त को कैसे मार सकता हूं जो मुझे दर्द से राहत दिलाने में मदद करेगा? मैं आपको नहीं मारने का वादा करता हूं, और आपकी इच्‍छा के अनुसार आपको बहुत सारे इनाम देने का वादा करता हूं।  
इस पर सारस ने अपनी लंबी गर्दन बाघ के मुंह में डाली और उसके तेज चोंच ने हड्डी को आसानी से खींच लिया। आराम मिलते ही तुरंत कृतघ बाघ ने जवाब दिया, मूर्ख सारस, बाघ से इनाम पूछने की हिम्‍मत कैसे कर सकते हो। अपने सितारों का शुक्रिया अदा करो कि तुम मारे नहीं गए। अगर मैं दयालु नहीं होता, तो आप जीवित नही रहते जब आपने मेरे मुंह में अपना सिर डाला था तो मै तुम्‍हारे सिर को चबा सकता था। इसे ही अपना बड़ा इनाम समझो।  
 
 
 
 
 
 

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