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शिवपुरी राजीव रामधारी सिंह दिनकर प्रतिलेखन संख्या - १०
created Saturday October 04, 03:54 by Rajeev Lodhi
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सभापति महोदय, आज हमारे देश में जो ऊपर से लेकर नीचे तक शिक्षा दी जा रही है उसमें व्यवस्था ही एक कारण है जिसकी वजह से शिक्षा का स्तर गिरता जा रहा है मेरा अपना विचार है कि जो शिक्षा प्रणाली है और जिस रूप में शिक्षा दी जा रही है। वही अनुशासनहीनता का भी कारण है अपने देश और प्रदेश में हर एक ही अपनी-अपनी भाषा है और वह बालक जो इस देश में पैदा हुआ है जो अपनी मात्रभाषा की गोद में पला है उसको यदि अपनी मात्रभाषा में ही शिक्षा दी जाये तो मेरा विचार है कि शिक्षा का स्तर ठीक हो सकता है जो सबसे बड़ी भूल और कमी सरकार के द्वारा दी जाने वाली शिक्षा के संबंध में हो रही है वह यह है कि बालक की मातृभाषा में शिक्षा न देकर उसको उस भाषा में शिक्षा देने की व्यवस्था की गई है जो हमारे देश या प्रदेश की भाषा कभी रही ही नहीं मेरा अभिप्राय विदेशी भाषा अंग्रेजी से है मैं यह मानकर चलता हूँ कि जब से यह भाषा इस देश में आई है चाहे वह किसी कारण से आई हो इसे आप भी और इस माननीय सदन के सदस्य भी जानते है कि उससे बुरे परिणाम ही निकले है कोई भलाई नहीं हुई है इस देश को जो हानि हुई है वह किसी से छिपी नहीं है हम देख रहे है कि हमारे यहां जितना फैशन बढ़ रहा है जितनी वेशभूषा विगड़ रही है वह सब अंग्रेजी भाषा के ही कारण है जिस समय यहां पर अंग्रेजों का राज्य था प्राय: यह देखने को मिलता था कि वे लोग जो विशेषकर किसी न किसी तरह से सरकारी पक्ष के ही होते थे। अंग्रेजों से मिलने के लिए जाते समय अंग्रेजी वेशभूषा का ही प्रयोग करते थे। परंतु यह इस प्रदेश और इस देश का दुर्भाग्य है कि अंग्रेजों का राज्य समाप्त हो जाने के बाद भी लोग उनकी वेशभूषा को पहनते चले जा रहे हैं। इससे जो प्रभाव हमारे देश के फैशन पर पड़ा उससे लाभ के बजाय हानि ही हुई है और हो भी रही है। ऐसा मेरा विचार है कि अंग्रेजी भेष-भूषा से इस देश को बहुत हानि हुई है भारत की गौरवपूर्ण सभ्यता और संस्कृति के संरक्षण पर पर्याप्त ध्यान देने की आवश्यता है।
