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साँई कम्प्यूटर टायपिंग इंस्टीट्यूट गुलाबरा छिन्दवाड़ा (म0प्र0) संचालक:- लकी श्रीवात्री मो0नां. 9098909565
created Wednesday October 08, 12:04 by lucky shrivatri
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अनुशासनिक प्राधिकारी, जिसकी कि अभिलेख इस प्रकार से अग्रेषित किए गए हो, अभिलेख में के साक्ष्य पर कार्यवाही कर सकेगा या, यदि उसकी यह राय हो कि साक्षियों में से किसी भी साक्षी की और पृच्छा न्याय के हित में आवश्यक है तो उसे साक्षी को पुन: पृच्छा कर सकेगा और शासकीय सेवक पर ऐसी शास्ति अधिरोपित कर सकेगा जिसे कि वह इन नियमों के अनुसार समझे। जब कभी जांचकर्ता अधिकारी किसी जांच में पूरे साक्ष्य या उसके किसी भाग की सुनवाई करने पर उसे अभिलिखित करने के पश्चात् उसकमें क्षेत्राधिकार का प्रयोग बंद कर दे, और उसका उत्तराधिकारी होकर कोई अन्य ऐसा जांचकर्ता अधिकारी आए जिसे ऐसा क्षेत्राधिकार प्राप्त है और जो ऐसे क्षेत्राधिकार का प्रयोग करता है तो इस प्रकार उत्तराधिकारी होकर आने वाले जांचकर्ता अधिकारी अपने पूर्वकर्ती द्वारा अभिलिखित किए गए ओर अंशत: स्वयं द्वारा अभिलिखित किए गए साक्ष्य पर कार्यवाही कर सकेगा। परन्तु यदि उत्तरवर्ती जांचकर्ता अधिकारी की राय हो कि उन साक्षियो में से जिनका साक्ष्य पूर्व में ही अभिलिखित किया जा चुका है, किसी भी साक्षी की और पृच्छा न्याय के हित में आवश्यक है, तो उसमें पूर्व उपबन्धित किए गए अनुसार किन्ही भी ऐसे साक्षियों को पुन: बुला सकेगा उसकी पृच्छा, प्रतिपृच्छा तथा पुन: पृच्छा कर सकेगा। परन्तु ऐसे आरोप पद पर निष्कर्ष तब तक अभिलिखित नहीं किए जाएंगे जब तक कि शासकीय सेवक या तो उन तथ्यों को जिन पर ऐसा आरोप-पद आधारित है, स्वीकार न कर लिया हो या उसे ऐसे आरोप-पद के विरूद्ध अपना बचाव करने के लिये युक्तियुक्त अवसर प्राप्त न हो गया हो।
नियम 16 में अन्तर्विष्ट हो जिसमें नैतिक अधमता अंतर्वलित होती है, वहां नियम 14 में अधिकथित प्रक्रिया का अनुसरण किया जायेगा। अनुशासनिक प्राधिकारी यदि वह स्वयं जांचकर्ता प्राधिकारी न हो, अपने द्वारा अभिलिखित किये जाने वाले कारणों से, उस मामले को जांचकर्ता प्राधिकारी की और से जांच तथा रिपोर्ट के लिये भेजा सकेगा और जांचकर्ता प्राधिकारी, तदुपरान्त, जहां तक हो सके, नियम 14 के उपबन्धों के अनुसार और जांच करने के लिये अग्रसर होगा। अनुशासनिक प्राधिकारी यदि वह किसी आरोप-पद पर जांचकर्ता प्राधिकारी के निष्कर्षो से असहमत हो, ऐसी असहमति के लिये कारण अभिलिखित करेगा और ऐसे आरोप पर अपने स्वयं के निष्कर्ष अभिलिखित करेगा, यदि अभिलेख में का साक्ष्य उस प्रयोजन के लिये पर्याप्त हो।
नियम 16 में अन्तर्विष्ट हो जिसमें नैतिक अधमता अंतर्वलित होती है, वहां नियम 14 में अधिकथित प्रक्रिया का अनुसरण किया जायेगा। अनुशासनिक प्राधिकारी यदि वह स्वयं जांचकर्ता प्राधिकारी न हो, अपने द्वारा अभिलिखित किये जाने वाले कारणों से, उस मामले को जांचकर्ता प्राधिकारी की और से जांच तथा रिपोर्ट के लिये भेजा सकेगा और जांचकर्ता प्राधिकारी, तदुपरान्त, जहां तक हो सके, नियम 14 के उपबन्धों के अनुसार और जांच करने के लिये अग्रसर होगा। अनुशासनिक प्राधिकारी यदि वह किसी आरोप-पद पर जांचकर्ता प्राधिकारी के निष्कर्षो से असहमत हो, ऐसी असहमति के लिये कारण अभिलिखित करेगा और ऐसे आरोप पर अपने स्वयं के निष्कर्ष अभिलिखित करेगा, यदि अभिलेख में का साक्ष्य उस प्रयोजन के लिये पर्याप्त हो।
