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साँई कम्‍प्‍यूटर टायपिंग इंस्‍टीट्यूट गुलाबरा छिन्‍दवाड़ा (म0प्र0) संचालक:- लकी श्रीवात्री मो0नां. 9098909565

created Yesterday, 07:17 by lovelesh shrivatri


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वैसे तो हमारे हिंदुओं के बहुत परव होते है और सभी की अपनी अलग ही अहमियत होती है। जिनको हम उमंग के साथ मनाते है। उनमें से ही एक भाई  दूज है। जो कि भाई बनह के रिश्‍तों का प्रतीक माना जाता है। भारतीय समाज में इस की विशेष जगह है। वैसे हमारे भारत समाज ही काफी है। इन संबंधों को मजबूत करने के लिए परंतु इन संबंधों में और मजबूती और प्रेम को बढाने के लिए ही भाई दूज को मनाने की परंपरा है। जिनको हमारे हिुदू समुदाय में देवी देवताओं के मनाने के कारण ही हमारे समाज में इस को जरूरी जगह दी है और पौरााणिक काल से चले रहे है। इसलिये भी हम पूरी भावना और उमंग के साथ मनाते है। इनको बदलना और उसमें कुछ भी बदलाव लाने हम कभी भी कोई कोशिश नहीं करते है ओर इसलिए भाई दूज संबंधों को मजबूती प्रदान करने वाला है। साधारण बोलचाल कि भाषा में दीपाली के दूसरे दिन इसे मनाने की परंपरा है। हिंदू समाज में भाई दूज को भाई बहन के नाते का प्रतीक माना जाता है। इस को बहुत ही उमंग के साथ मनाने की परंपरा है। इस की सबसे अधिक अहमियत भाई बहन के नाते को मजबूत करने के नजरिये से बेहद जरूरी है। इसके लिए जहां बनह अपने भाई को तिलक करके उसकी लंबी आयु की कामना करती है। वही भाई भी अपनी बहन को कोई उपहार देकर अपना प्रेम और लगाव दिखाता है। दीपाली के दो दिन बाद मनाने वाले भाई दूज के पीछे कई ऐतिहासिक और पौराणिक कथा मिलतीहै। उन पौराणिक कथाओं के अनुसार एक कथा इस प्रकार है कि भगवान सूरय नारायण की बीवी का नाम छाया था। यम और यमुना नाम के पुत्र और पुत्री को जनम दिया था। जब यमुना का विवाह हो गया ताब यमुना अपने भाई यम को भोजन ग्रहण करने के लिए बुलाती थी। यम ने कई बार अपनी बहन का आफर ठुकरा दिया वो सोचने लगा कि इस धरती पर कोई भी नहीं चाहेगा कि मैं उसके घर आउ। इसलिये कि मैं तो प्राणों को हरने वाला यमराज हूं। पर मेरी बहन फिर भी मेरे को बार बार आग्रह करे बुलाना चाहती है। लेकिन कई  बार अपनी बहन के आग्रह करने पर यम अपनी बहन के घर गए। जाने से पहले यमराज ने राह में आये जो भी नरकवासी थे उनको उनके पाप से आजाद कर दिया और जब बहन के घर गए तो बहन की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। सबसे पहले वह वह नहा कर अपने भाई को माथे पर तिलक करके तरह तरह के खाने परोसने लगी और जब भाई यम जाने लगा तो उसने अपनी बहन यमुना को वरदान दिया कि आज के दिन जो भी बहन यमुना में नहा कर अपने भाई को को तिलक करके भोजन करवाएगी तो उसको और उसके भाई को यमराज का भी डर नहीं होगा। इस दिन बहन अपने भाई को भोजन के लिए आमंत्रित करती है। भोजन में खीर पूड़ी और जो भी खाना होता है और जिनको बनाने की परंपरा है। परंतु ये सब नहीं भी हो तो चावल की खीर या चावल का कोई भी पकवान बनाने को अधिक अहमियत दी जाती है। भोजन बनाकर भाई को कुमकुम हलदी और चंदन आदि का तिलक करती है। ये भी रक्षाबंधन के जैसा ही है। लेकिन थोड़ा सा अलग है।    
 
 
 
 
 
 
  

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