Text Practice Mode
hindi typing 1
created Thursday October 16, 09:33 by Umesh Chandra Chauhan
1
331 words
54 completed
0
Rating visible after 3 or more votes
saving score / loading statistics ...
00:00
यह संसार परिवर्तनशील है। समय के साथ सब कुछ बदलता रहता है। हमें भी इस परिवर्तन को स्वीकार करते हुए आगे बढ़ना चाहिए। जीवन में सफलता पाने के लिए परिश्रम, ईमानदारी और धैर्य का होना बहुत आवश्यक है। जो व्यक्ति कठिनाइयों से डरता नहीं और लगातार प्रयास करता है, वही अपने लक्ष्य को प्राप्त कर पाता है। असफलता से घबराना नहीं चाहिए, बल्कि उससे सीख लेकर दोबारा कोशिश करनी चाहिए। शिक्षा जीवन का सबसे बड़ा धन है, जो हमें सही दिशा दिखाती है। एक शिक्षित व्यक्ति समाज में सम्मान प्राप्त करता है और दूसरों का मार्गदर्शन भी कर सकता है। अच्छे संस्कार और सकारात्मक सोच से हम हर मुश्किल को आसान बना सकते हैं। हमें अपने परिवार, समाज और देश के प्रति अपने कर्तव्यों को समझते हुए कार्य करना चाहिए। सच्चाई और मेहनत के मार्ग पर चलने वाला व्यक्ति कभी निराश नहीं होता। सफलता भले देर से मिले, लेकिन मिलती अवश्य है। इसलिए हमेशा अपने सपनों को पूरा करने के लिए मेहनत करते रहना चाहिए। यही सफलता की असली कुंजी है।
यह संसार निरंतर परिवर्तनशील है। समय के साथ मनुष्य की जीवनशैली, सोच और कार्य करने के तरीके भी बदलते रहते हैं। पहले लोग साधारण जीवन जीते थे, उनके पास सुख-सुविधाओं की कमी थी, परंतु वे संतोषी और खुशहाल थे। आज विज्ञान और तकनीक ने जीवन को आसान बना दिया है, लेकिन लोगों के पास शांति और समय की कमी हो गई है। मनुष्य मशीनों पर अधिक निर्भर हो गया है और प्रकृति से दूर होता जा रहा है। पेड़-पौधों की कटाई, प्रदूषण और ग्लोबल वार्मिंग जैसी समस्याएँ बढ़ रही हैं। हमें समझना होगा कि तकनीकी विकास के साथ-साथ पर्यावरण का संरक्षण भी उतना ही आवश्यक है। यदि हम प्रकृति की रक्षा करेंगे, तो आने वाली पीढ़ियाँ भी स्वस्थ जीवन जी सकेंगी। हमें अपने जीवन में संतुलन बनाकर चलना चाहिए — न तो अत्यधिक भौतिक सुखों की लालसा रखनी चाहिए, न ही आधुनिकता से दूरी बनानी चाहिए। यही सच्चे विकास का मार्ग है, जहाँ प्रगति और पर्यावरण दोनों साथ चलें।
यह संसार निरंतर परिवर्तनशील है। समय के साथ मनुष्य की जीवनशैली, सोच और कार्य करने के तरीके भी बदलते रहते हैं। पहले लोग साधारण जीवन जीते थे, उनके पास सुख-सुविधाओं की कमी थी, परंतु वे संतोषी और खुशहाल थे। आज विज्ञान और तकनीक ने जीवन को आसान बना दिया है, लेकिन लोगों के पास शांति और समय की कमी हो गई है। मनुष्य मशीनों पर अधिक निर्भर हो गया है और प्रकृति से दूर होता जा रहा है। पेड़-पौधों की कटाई, प्रदूषण और ग्लोबल वार्मिंग जैसी समस्याएँ बढ़ रही हैं। हमें समझना होगा कि तकनीकी विकास के साथ-साथ पर्यावरण का संरक्षण भी उतना ही आवश्यक है। यदि हम प्रकृति की रक्षा करेंगे, तो आने वाली पीढ़ियाँ भी स्वस्थ जीवन जी सकेंगी। हमें अपने जीवन में संतुलन बनाकर चलना चाहिए — न तो अत्यधिक भौतिक सुखों की लालसा रखनी चाहिए, न ही आधुनिकता से दूरी बनानी चाहिए। यही सच्चे विकास का मार्ग है, जहाँ प्रगति और पर्यावरण दोनों साथ चलें।
